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________________ जाती है। इस प्रकार चमडा प्राप्त करने के लिये पशुओ का बहुत ही निर्दयतापूर्वक बध किया जाता है । इसी प्रकार बहुत मुलायम खाल प्राप्त करने के लिये गर्भिणी मादा पशुओ का बध करके उनके गर्भ के बच्चो को निकाल कर उनका बध किया जाता है, क्योकि इन बच्चो की खाल बहुत मुलायम होती है। रंग-बिरंगी सुन्दर खाले प्राप्त करने के लिए कुछ व्यक्ति घडियालो और अन्य ऐसे ही सुन्दर खाल वाले और सुन्दर पख व बाल वाले पशु-पक्षियों को विशेष रूप से पालते है । जब उनके बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनका बध करके उनकी खाल व पख उतार लेते है और इस प्रकार यह हिसा का ताण्डव नृत्य चलता रहता है । एक अहिसक व्यक्ति को ऐसी वस्तुओ का प्रयोग भी नही करना चाहिये । (१३) भोजन के लिए मास व अण्डे तो हिंसा के द्वारा ही प्राप्त होते है । इसी प्रकार मनोरजन के लिए शिकार करने मे भी प्रत्यक्ष ही हिसा होती है । ( मासाहार पर हमने अगले पृष्ठो मे भी विस्तृत विवेचन किया है ।) (१४) जुआ खेलने से भी हिंसा को बढावा मिलता है। बहुधा देखा जाता है कि घन के लोभ मे जुआरी एक-दूसरे से मार-पीट करते हैं और कभी-कभी एक दूसरे की हत्या भी कर देते है । जुए में जीता हुआ धन भी अच्छे कार्यों मे नही लगता । उसको अधिकाश मे मासाहार, मदिरापान व वेश्या - गमन जैसे जघन्य कार्यों मे ही व्यय किया जाता है । जुए मे जो हारता है वह तो बरबाद होता ही है, जीतने वाले को भी अन्तत बरबादी ही मिलती है । (१५) आजकल कुछ औषधियाँ भी पशुओ के मास,
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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