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यहाँ पर एक तथ्य और भी ध्यान में रखने योग्य है। मदिरापान का स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। चाहे वह ब्राण्डी हो, ह्विस्की हो, 'बीयर हो अथवा शराब हो, स्वास्थ्य विज्ञान की दृष्टि मे ये सब विष ही हैं और शरीर के लिये सर्वथा विजातीय द्रव्य हैं। अत्यधिक मदिरापान के परिणाम तो सभी जानते हैं, परन्तु यदि ये विष थोडी मात्रा में भी सेवन किये जाये तो भी हानिकारक ही होते हैं। - कुछ व्यक्तियो को यह भ्रम है कि मदिरा शक्तिवर्द्धक है और इसके पीने से मुख पर व आखो मे तुरन्त ही लाली आ जाती है । परन्तु यह लाली शक्ति की नहीं होती। वास्तविकता तो यह है कि इन विजातीय द्रव्यो के शरीर में जाते ही शरीर के कोषाणु संघर्षशील हो जाते हैं और हृदय द्रुत गति से रक्त फेकने लगता है। शरीर के इसी अन्तर्द्वन्द्व से उत्पन्न लाली मुख पर तथा आँखो मे प्रकट होती है। अन्त मे सघर्षशील शरीर मदिरा पर विजय पाकर निढाल हो जाता है । उस निर्बलता को दूर करने के लिये व्यक्ति पुन मदिरा पीता है और यह क्रम इसी प्रकार चलता रहता है तथा सघर्षशील शरीर अपनी शक्ति खोता रहता है। धीरे-धीरे करके मदिरा उस पर हावी होती जाती है और इसका अन्तिम परिणाम किसी से छिपा हुआ नही है। मदिरा पीने वाला व्यक्ति अपने शरीर मे कितना विष डालता रहता है, इस तथ्य का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि एक औंस अल्कोहल (शराब) किसी स्वस्थ कुत्ते को खाली पेट पिला दी जाये, तो उसका जीवित रहना बहुत कठिन हो जाता है।
कुछ व्यक्ति यह कहते हैं कि जब प्राचीन काल से ही