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ये हमारे विवेक को हर लेती हैं, जिससे हमको अच्छे व बुरे की पहचान भी नही रहती । अधिकतर हत्याये, बलात्कार व दूसरे जघन्य कुकृत्य मदिरापान की अवस्था मे ही किये जाते है । सडको पर अधिकाश दुर्घटनाएँ नशे की हालत मे गाडियाँ चलाने के कारण ही होती हैं ।
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मदिरा पीने वाले व्यक्ति का कितना चारित्रिक और नैतिक पतन होता है यह किसी से छिपा नही है । मदिरा के नशे मे व्यक्ति अपने देश के भेद शत्रुओं को दे देते है और देश के साथ गद्दारी करते है । मदिरा के सेवन से घर मे कलह पनपती है । जो पैसा परिवार के पालनपोषण मे खर्च होना चाहिए था, वह मदिरा मे फुंक जाता है । मदिरा पीने से घर ही नष्ट नही होते, अपितु जिस राष्ट्र मे मदिरापान बढ जाता है उस राष्ट्र का भी पतन हो जाता है । इतिहास साक्षी है कि बडे-बडे साम्राज्यो और राष्ट्रो का पतन सुरा ओर सुन्दरियो के कारण ही हुआ है।
जिन देशो के नवयुवको मे मदिरापान बढता जा रहा है, वहाँ के विचारक इससे बहुत चिन्तित हैं और वहाँ के शासक नवयुवको मे मदिरापान को कम करने के लिये आवश्यक पग उठा रहे है ।
इसके अतिरिक्त मदिरा बनाने मे भी अत्यधिक हिसा होती है । जिस वस्तु की मदिरा बनानी होती है, उसको सडाया जाता है । इससे उसमे असख्य सूक्ष्म और स्थूल जीवो की उत्पत्ति होती रहती है। फिर उसका आसव खीचा जाता है । इस प्रकार मदिरा असख्य जीवो का कलेवर होती है। तैयार हो जाने के पश्चात् भी मदिरा मे प्रति समय असख्य सूक्ष्म जीवो की उत्पत्ति होती रहती है।
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