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खाद्य पदार्थ प्रयोग मे लाते हैं, क्योकि वे सस्ते मिल जाते है। वे ये वस्तुए ऐसे गन्दे तरीको से और ऐसे गन्दे स्थानो पर तैयार करते है कि देखने मे भी ग्लानि होती है। इसके साथ-साथ बाजार के पिसे हुए मसालो व अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट भी बहुत पाई जाती है। इनमे लकडी का बुरादा, पत्थर का चूरा, घोडे की लीद, पीली मिट्टी आदि जैसे हानिकारक पदार्थ मिलाये जाते हैं। खाने के तेलों मे खनिज तेल मिला देते हैं। ये पदार्थ हमारे स्वास्थ्य को नष्ट कर देते है और हमारे जलन्धर, पेचिश, लकवा आदि जैसे भयानक रोग पैदा कर देते हैं। इस प्रकार के मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से प्रति वर्ष हजारो व्यक्तियो की मृत्यु हो जाती है । अत जहा तक सम्भव हो हमे घर पर ही शुद्ध, साबुत खाद्य पदार्थ लाकर उनको साफ करके स्वय ही पीस-कूट कर प्रयोग करने चाहिए ।
हमे सप्ताह में कम से कम एक दिन का उपवास रखना चाहिए । उस दिन केवल सुहाता-सुहाता गरम पानी पीना चाहिए। ऐसा करने से सप्ताह भर मे जो गन्दगी हमारे पेट मे इकट्ठी हो जाती है वह साफ हो जाती है। यदि हम पूरे दिन का उपवास न भी कर सकें तो सप्ताह में एक समय का भोजन तो अवश्य ही छोड देना चाहिए।
भोजन सेवन करने के सम्बन्ध मे हमे इस सूत्र से काम लेना चाहिए। जिस प्रकार हम अपने सेवक को कम-सेकम वेतन देकर उससे अधिक से अधिक काम लेना चाहते हैं, उसी प्रकार हमको भी अपने पेट को कम-से-कम भोजन देकर अपने शरीर से अधिक-से-अधिक काम लेना चाहिये। इस सूत्र पर चलने से हम कदाचित् ही बीमार पडे ।
कुछ व्यक्ति यह कहते हैं कि संसार में जितने पाप