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दो बार भोजन ले सकते हैं। प्रात सूर्य निकलने के एक घण्टे बाद से लेकर सध्या को सूर्य छिपने से एक घण्टा पहले तक हमको अपना भोजन कर लेना चाहिए। इस समय के अतिरिक्त अन्य समय मे तथा बिना भूख लगे भोजन भी नहीं करना चाहिए। जब व्यक्ति स्वस्थ होता है तो उसको अपने आप ही खुलकर भूख लगती है । खुलकर भूख न लगना पेट मे किसी-न-किसी प्रकार की गडबडी का सकेत है। हमको पेट भरकर तथा ठूस-ठूसकर कभी नहीं खाना चाहिए। सदैव ही भूख से एक रोटी कम खानी चाहिए । चौबीस घण्टो मे दो बार से अधिक भोजन करने, ठूस-ठूसकरखाने तथा बिना भूख भोजन करने का परिणाम अपने पैसे को व्यर्थ खोना और बदले मे बीमारी मोल लेने के समान है। कुछ दिन हुए एक पत्रिका मे पढा था कि पटना मे एक ऐसा परिवार है, जिसके सदस्य कई वर्ष से, बिना भोजन के, केवल पानी पीकर ही, अपना जीवन-यापन कर रहे है । कहने का तात्पर्य यही है कि जीवित व स्वस्थ रहने के लिये अधिक भोजन करना आवश्यक नहीं है।
हमारी एक गलत आदत यह भी है कि हम भोजन गरम-गरम खाते है और पानी ठण्डा पीते हैं। इसके विपरीत हमको चाहिए कि भोजन ठण्डा खाये और पेय पदार्थ गरम-गरम पियें। तात्पर्य यह है कि दाल, रोटी, सब्जी आदि ठण्डे (फ्रीज़ मे रखकर नही) सेवन करने चाहिए और पानी, दूध आदि सुहाते हुए गरम पीने चाहिए। इस प्रकार भोजन सेवन करने से हम स्वस्थ रहेगे और बहुत से रोगो से भी बचे रहेगे।
जहा तक सम्भव हो खाद्य पदार्थों को उनके प्राकृतिक रूप मे ही सेवन करना चाहिए। केवल स्वादिष्ट बनाने १४८