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(घ) साधारणतया देखने से इन अण्डो व साधारण अण्डो में कोई भेद दिखाई नहीं देता, इसलिए खाने वाले इन अण्डो की पहचान कैसे करेंगे? जब कोई व्यक्ति इन तथाकथित जीव रहित अण्डो का सेवन करने लगता है तो उसको अन्य साधारण अण्डो के सेवन करने मे भी कोई ग्लानि नही होती और वह अन्य साधारण अर्थात् जीव सहित अण्डे भी खाने लगता है। __ इन तथ्यो को दृष्टि मे रखकर इन तथाकथित जीवरहित अण्डो को शाकाहार मे नही माना जा सकता। ___ कुछ व्यक्ति यह कहते हैं कि दूध भी पशु के शरीर से निकलता है, इसलिए एक अहिंसक को दूध भी नही पीना चाहिए। __इस तर्क मे कुछ तथ्य अवश्य है । इसी कारण से यूरोप के देशो में ऐसे कट्टर शाकाहारियो की सख्या बढती जा रही है, जो दूध का सेवन भी नहीं करते। परन्तु जैसा हम पहले भी कह चुके है दूध, मास व अण्डे बिलकुल भिन्नभिन्न पदार्थ हैं। दूध जब पशुओ के स्तनो से निकलता है तब वह बिलकुल शुद्ध होता है । यद्यपि समुचित सावधानी न रखने से उसमे बाद में बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं। मनुष्य के शरीर पर दूध का प्रभाव और मास व अण्डो का प्रभाव बिलकुल भिन्न-भिन्न होता है । दूध देने के बाद पशु को कोई कष्ट नही होता, अपितु उसे कुछ शान्ति का ही अनुभव होता है। क्योकि जो दूध उसके थनो में इकट्ठा होता है वह यदि निकाला न जाये तो पशु को कष्ट होता है । दूध देने के पश्चात् पशु को उस दूध से कोई मोह नही रहता। इन सब तथ्यो को दृष्टि में रखते हुए दूध को मासाहार में नहीं माना जा सकता।