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बढ़ रहा है, परन्तु इसके लिए मनुष्य स्वयं दोषी है । वह अपने दोष के लिये इन निरपराध जीवों की हत्या क्यों करे ? जनसंख्या को सीमित रखने के लिए हमारे पूर्वजों ने सयम रखने का उपदेश दिया था । व्यक्ति जितने सयमी होंगे उतनी ही जनसख्या सीमित रहेगी। उनका स्वास्थ्य ) भी ठीक रहेगा और वे बलवान भी होगे । परन्तु आज के वातावरण मे सयमपूर्वक जीवन बिताना बहुत कठिन हो गया है । फिर भी वैज्ञानिकों ने गर्भ निरोध के नये-नये उपाय खोज निकाले हैं, जिनका प्रयोग करने से जनसख्या सीमित रखी जा सकती है।
यहा एक तथ्य और भी ध्यान मे रखने योग्य है । मासाहार से जनसख्या मे वृद्धि की अधिक सम्भावना होती है, क्योकि मास व अण्डो के सेवन से व्यक्ति को तामसिक प्रवृत्ति बढती है और वह और भी अधिक विषय-वासनाओ की ओर आकृष्ट होता है, इसके विपरीत शाकाहार सात्विक होता है और सयमपूर्वक जीवन बिताने में सहायक होता है, जिससे जनसख्या पर अंकुश रखा जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जनसंख्या को सीमित रखने मे मासाहार एक बडी रुकावट है।
जहा तक अनाज की पैदावार का प्रश्न है, सभी जानते हैं कि अभी बहुत सी ऐसी भूमि पडी हुई है जहाँ पर थोड़ा परिश्रम करके अनाज उत्पन्न किया जा सकता है। बहुत सी खेती योग्य भूमि ऐसी है, जहाँ पर सिंचाई के साधन न होने अथवा बाढ़ आ जाने व सूखा पड़ जाने से अनाज कम होता है। ऐसी भूमि पर थोडे से परिश्रम से पर्याप्त अनाज उगाया जा सकता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि हमने अभी तक उपलब्ध साधनो का भी पूरा उपयोग नहीं
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