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बहुत पुराने समय से अग्रेजी में एक कहावत प्रचलित है : Early to bed and early to rise,
Makes a man healthy, wealthy and wise इसका अर्थ यही है कि जल्दी सोना व जल्दी उठना मनुष्य को स्वस्थ, धनवान व चतुर बनाता है |
हम जल्दी उसी दशा मे सो सकते हैं, जबकि भोजन जल्दी ही अर्थात् दिन छिपने से पहले ही कर ले। ऐसा करने से हमारा भोजन तीन-चार घण्टे मे पच जायेगा और हम नौ-दस बजे के बीच आसानी से सो सकेंगे। किसी भी शरीर - विज्ञानशास्त्र मे ऐसा नही लिखा है कि व्यक्ति को रात्रि मे भोजन करना चाहिए। सब जगह यही लिखा हुआ है कि सोने के समय तक हमारा खाया हुआ भोजन पच जाना चाहिए और ऐसा तभी हो सकता है, जब हम दिन मे ही भोजन कर ले ।
रात्रि - भोजन त्याग से एक लाभ और भी है । ऐसा करने से मासाहार व विशेषकर मदिरापान मे भी अपने आप ही कमी आ जायेगी । आज कल रात्रि भोजन के साथ ही मासाहार व मदिरापान का प्रचलन बढता जा रहा है। दिन के समय तो किसी को इतनी फुरसत नही होती कि वह घण्टे -दो घण्टे मास व मदिरा सेवन पर नष्ट करे । इसलिए इन अनर्थकारी पदार्थों का सेवन अधिकाशतया रात को फुरसत से ही किया जाता है। यदि हम रात्रि भोजन का त्याग कर दे तो यह दुर्व्यसन स्वयमेब ही छूट जायेंगे ।
अत यह स्पष्ट है कि रात्रि भोजन का त्याग करने से हम केवल अहिंसा धर्म का पालन ही नही करेंगे, अपितु अपना स्वास्थ्य भी ठीक रख सकेंगे, धन भी बचा सकेंगे ओर बुरी आदतो से भी बचे रहेंगे ।
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