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घात का कही नाम भी न था। लोग अपने घरो मे ताले भी नहीं लगाते थे और प्रजा हर प्रकार से सुखी व सम्पन्न थी। यहा का कला-कौशल और सस्कृति आदि अधिकाश मे उसी समय की देन है।
भारत का और विशेषकर राजपूताने का इतिहास साक्षी है कि जब भी यहा के निवासियो ने विलासिता और अपने जीवन का मोह त्याग कर आक्रमणकारी का सामना किया तभी उन्होने आक्रमणकारियो के छक्के छुडा दिये और अपने से कई-कई गुनी बडी सेना को हराया। ___ अब से लगभग एक हजार वर्ष पहले भारत मे, विशेषकर गुजरात व दक्षिण मे, बहुत से जैन शासक हुए हैं। उन्होने शताब्दियो तक अपने राज्यो पर सफलतापूर्वक शासन किया और आक्रमणकारियो से अपने प्रदेश को सुरक्षित रक्खा । परन्तु जब उनकी शक्ति बिलकुल ही क्षीण हो गयी या आक्रमणकारी बहुत अधिक शक्तिशाली हुआ तब उन्होने युद्ध मे लड़ते-लडते अपने प्राण गवा दिये, परन्तु विदेशियो के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया और न उनकी आधीनता ही स्वीकार की। इसी कारण इन राजवशो के नाम भी आज लुप्त प्राय हो गये हैं।
वर्तमान काल मे भी हम देखे तो इसी सत्य के दर्शन होगे। अमरीका जैसा विशाल, शक्तिशाली और धनवान देश एक छोटे से देश वियतनाम को नही भुका सका। क्योकि वियतनामी अपने प्राणो की परवाह न कर अपने देश के लिये लड रहे थे।
इसके साथ-साथ सन् १९४८ में उदय में आये छोटे से यहूदी राज्य इजराइल का उदाहरण भी हमारे सामने है। लगभग ३५ लाख की जनसंख्या का यह छोटा सा देश