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प्राचीन जैन स्मारक |
(७) नं० ४७ - वहीं प्रभाचंद्र मुनिके शिष्य कोम्मसेठीकी निषीधिका ।
(८) नं० ४८ - तन्नदल्लीके अंजनेश्वर मंदिरके आंगन में एक चबूतरे पर पाषाण है । उसपर - मूल सं० देशीयगणके चारुकीर्ति भट्टारकके शिष्य चंद्रक भट्टारककी निषोधिका ।
आर्किलाजिकल सर्वे रिपोर्ट सन् १९१६-१७ में है कि इस जिलेके मुदाक्षरा तालुका में जो शिलालेख मिलते हैं उनसे यह साफ प्रगट है कि यहां चोलवंशी अनेक राजाओंने राज्य किया है । तथा इन लेखोंसे यह भी प्रगट है कि इस ओर जैन लोगोंका और उनके धर्मका बहुत बड़ा जोर था | यहांके राजाओं में से एक राजाकी रानी श्रीकुंदकुंदाचार्य के कारगणके मुनिकी शिष्या थी । ( These same epigraphps also point to the vast influence of the Jainas aud their creed, a queen of one of the ruling princes beeing herself a lay disciple of the Kauurgan and Kunda Kundacharya ).
(१०) मदरास शहर |
यह समुद्र से २२ फुट ऊंचाईपर है । २७ वर्गमील स्थान है । दो मील से ४ मील है
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यहां मैलापुर एक प्रसिद्ध स्थान है । यहां प्राचीनकालमें एक बृहत जैन मंदिर था । उसे ध्वंश होनेपर वर्तमान में प्रसिद्ध शिव मंदिर सरोवर के तटपर बनाया गया है। इस विशाल जैन मंदिरमें श्री नेमिनाथस्वामीकी बहुत सुन्दर कायोत्सर्ग मूर्ति ९ फुट उंची