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प्राचीन जैन स्मारक |
(७) अमीनाबाद - फिरंगीपुम् - तालुका सत्तेनपल्लीके दक्षिण पूर्व कोने में जहां सड़क गंटूरसे नरसरवपेटको गई है । किनारे २ कोंडविडु पर्वत माला चली गई है। यहां बहुत से ग्राम हैं। अमीनाबादके चारों तरफ कई मंदिर हैं जिनमें दो प्रसिद्ध पहाड़ी ऊंचाई पर हैं। ये जैनियोंके मूलमें मालूम होते हैं । इनमें सुन्दर खुदाई है । यहां बहुतसे शिलालेख हैं । एक अम्मवारुके मंदिर में ग्रामके पश्चिम है सन् १९९२ का । मंदिर के उत्तर कई लेख हैं उनको पढ़ा नहीं गया ।
(८) पेहू पललकलूर - ता०गंटूर उत्तर ओर रिङ्गसड़क पार एक पहाड़ी है । इस ग्राम के पास एक जैनपाद है जिसपर एक मूर्ति खड़ी हुई है। नीचे के हिरणका चिह्न है । दाहिने हाथ में तलवार है । नोट- शायद यह कोई देवीकी मूर्ति हो, मस्तकपर तीर्थंकर की मूर्ति हो ।
(९) हाडीकोड - गंतूर से उत्तर १० मील । इस ग्राममें प्राचीन मंदिर व लेख हैं । एक मंदिरको बौद्ध या जैनोंने बनाया है क्योंकि अभी भी बौद्ध या जैन मूर्तियां मिलती हैं ।
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(१०) निदमरू - तादीकोंडसे आगे जाकर दाहिनी तरफ नीरकोंडकी प्रसिद्ध पहाड़ी है । तुलतुरु ग्रामकी तरफ जाते हुऐ ऊंचाई पर एक जैनपाद है। खेतों में एक जैन व दो तीन बौद्ध मूर्तियें ग्रामके आसपास मिलती हैं।
(११) अमरावती - ता० गंतर- कृष्णानदी के दक्षिण तटपर । इसीके दक्षिण धरणीकोटाका प्राचीन नगर था। यहां बहुत सुन्दर बुद्धस्तूप है जिसपर ब्राह्मी अक्षरों में लेख है ।
(१२) मलटीप्रोलु-ता ० तेनाली - यहां बौद्धस्तूप १३२ फुट व्यासका है जिसमें से तीन पिटारी जवाहरात व प्राचीन हड्डी