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मदरास व मैमूर प्रान्त। [७ और महेन्द्रगिरि सबसे ऊंची हैं अर्थात् ५००० फुट ऊंची हैं। इससे कम ऊंची देवगिरिकी पहाड़ी है जो पटकि मेढ़ीके पीछे दक्षिणको ४५३५ फुट ऊंची है।
इतिहास-यह जिला कलिंगदेशका एक भाग है । प्राचीन कलिंगदेश सन् ई० से ९.०० वर्ष पहले स्थापित हुआ था। यह कलिंगदेश उड़ीसाकी बंगाल हादसे लेकर गोदावरी नदी तक चला गया था निसका फासला ५०० मील है । महाराजा अशोकने इसे सन् ई० से २६० वर्ष पूर्व विनय किया था । कुछ काल पीछे यह प्रदेश वेंगीक अंध्रराजाओंके हाथमें आगया जो बौद्धधर्मी थे। अशोकका एक स्तम्भ नौगढ़पर है। तीसरी शताब्दीमें अंध्र लोगोंको भगाकर कलिंगदेशके प्राचीन गंगवंशने राज्य जमाया। प्राचीन गंगवंशकी मितीका ठीकपता नहीं है। यही हाल बैंगीके पूर्वीय चालुक्योंका है । इन चालुक्योने भी गंजमके एक भागपर राज्य किया था। चोलवंशने १० वीं के अंत और ११वीं शताव्दोके प्रारम्भमें वेंगी और कलिंगीको विनय किया था इसीमें गंजमके भाग गर्भित थे।
इनका सबसे प्रसिद्ध राजा राजेन्द्रचोल हुआ है जिसके विजयके लेख महेन्द्रगिरिपर मिलते हैं। इसी समय कलिंगके पीछेके गंगवंशी राजाओंने पहले तो चोलोंके आवीन फिर स्वतंत्र आगेकी चार शताब्दियोंतक राज्य किया था । इन्होंने उत्तर और दक्षिण अपना राज्य बहुत बढ़ाया था और परस्परकी कलह और मायाचारीसे इनका पतन हुआ । उड़ीसाके गनपति राजाओंका अधिकार यहां . १५वीं शताब्दीमें हुआ । गंगवंशो रानाके एक मंत्रीने अपने स्वामीको मारकर राज्य ले लिया। गजपति वंशके लोगोंकि हाथमें अब