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प्राचीन जैन स्मारक |
२३ - श्री चंद्रप्रभु २||| फुट, नीचे एक स्त्री पूज रही है । ये नं० २० से २३ तक स्तंभोंके ऊपरी भाग मालूम होते हैं । २४ - एक तीर्थंकर की मूर्ति, नीचे एक पुरुष पुजारी है । २९ - एक तीर्थंकर की मूर्ति मस्तक रहित ।
२६- श्रीपार्श्वनाथकी कायोत्सर्ग खंडित मूर्ति बड़ी घुटनोंसे ऊपर ६ फुटसे अधिक | कंधोंके पास चौड़ाई २ || फुट | २७- एक पक्षीका खंडित मस्तक ।
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२८ - एक पक्षीकी खंडित मूर्ति |
२९ - एक खुदा पाषाण जिसमें एक तीर्थंकर चमरेन्द्र सहित हैं, नीचे दो मुनि बैठे हैं ।
३० - एक खंभेका ऊपरी भाग खुदाई सहित |
३१ - एक तीर्थंकरका मस्तक ।
३२- एक पक्षीकी मूर्ति बैठे आसन २ || फुट |
३३ - एक खंभेका उपरी भाग, चार तरफ तीर्थंकर हैं ।
३४ - एक खुदा हुआ पाषाण स्तम्भ ५|| फुट अनुमान ऊंचा । ऊपर सामने श्रीमहावीरस्वामी बैठे आसन हैं, नीचे एक बेटे आसन पुरुष पुजारी है। पीछे संस्कृत में दो लेख तेलुगू लिपिमें हैं । पहले में है - शास्त्राभ्यासो निपतिनुतिः, दूसरे में है कि शाका सं० १३१९ में ईश्वर सम्वत फागुण सुदी १ का सेठी की निपीधिका.... (सन् १३९७) । यह कुडापा जिलेके दानबुल पादुसे लाया गया । कुड़ापा जिलेमें भी वर्णन है ।
-DIENAL