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मदरास व मैसूर प्रान्त । पद्माकरपुर में बनवाया और भूमि दान की ।
(६८) नं० १६४ सन् १४९१- ग्राम विदरुरू । जनार्दन मंदिर में एक ताम्रपत्र | जब संगीराय वोडयरका पुत्र महामंडलेश्वर ईदगरस ओडयर विदुरुनादमें रक्षक था तब तौलवदेश संगीत पट्टन के राजा सालुवेन्द्रने श्री जिनमंदिर के वर्द्धमानस्वामीकी सेवार्थ भूमि दान की ।
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नगर तालुका |
(६९) नं० ३५ सन १०७७ - हमछ, पंचवस्तीके आंगन में चालुक्यवंशी त्रिभुवन मल्लके राज्य में । उनके आधीन महामंडलेश्वर ननि सांतरदेव उग्रवंशी राज्य करते थे । इनकी वंशावली यह है: - उत्तर मथुरा में पांडवों के समयमें राह राजा उग्रवंशी राज्य करते थे । उस ही वंश में राजा सहकार हुए जिसके मानव के मांस खाने का शौक होगया। इसकी स्त्री श्रीदेवीसे जिनदत्त पुत्र हुआ ! यह जैनकुली होकर अपने पिताके आचरण से असंतुष्ट होकर दक्षिमें आया और पद्मावतीदेवीकी कृपासे पोम्बरच्छ या कनकपुरमें वस गया | इसके वंश में अनेक राजा हुए। श्रीकेशी, फिर रणकेशी फिर कई राजाओं के पीछे हिरण्यगर्भ । इसने सांतलिंगे १००० नाद स्थापित किया | इसकी उपाधिये थीं कंदुकाचार्य, दान विनोद, विक्रम सांतार | इसकी भार्या, वनवासीके राजा कामदेवकी पुत्री लक्ष्मीदेवी थी । इनके पुत्र चागीसांतार या चागी समुद्र थे । भार्या एंजलदेवी | इनके पुत्र वीर सांतार हुए, भार्या जाकलदेवी, पुत्र कन्नरसांतार हुए भायो नागलदेवी, पुत्र नन्निसांतार हुए। छोटे भाई कामदेव भार्या चंद्रदेवीके पुत्र त्यागीसांतार हुए । नन्निसांतारकी