________________
३१०] प्राचीन जैन स्मारक। एपिप्रैफिका कर्नाटिका जिल्द ८ वींसे जैन शिलालेख
जिला शिमोगा तालुका सोराब । (३४) नं० २८ सन् १२०८ ? ग्राम सोराब दंडवती नदीके तट अतमृत मंडपके स्तंभपर । दोर समुद्रमें वल्लालदेव राज्य करते थे तब बनवासीमें कदकनी विद्वानोंकी खान थी। यहां व रोहन पर्वतपर कीर्तिगोकुन्द राज्य करते थे। इनके पुत्र थेसोम, भासन, महादेव व राम । तब मल्लासेठी माचम्बके पुत्र नेमीसंठी नन्नवंशीने जिसके गुरु काणूरगण मूलसंघके गुरु गुणचंद्र थे जिध्वलिगे, एदेनाद तथा कुदकनीनादमें बहुत जिनमंदिर बनवाए। जब नेमीसेठीने शांतिनाथ मंदिरमें श्रीशांतिनाथको स्थापित किया तब कीर्ति गोवुन्दने उसके पुत्र और जमाई महादेव दंडनायकने पूजाके लिये ५० पोल चावलकी भूमि दान की।
(३५) नं० ५१ सन् १४०५ ग्राम हुले सोराबाके पूर्व अंजनेय मंदिरके पास । सोराब महाप्रभु देवराजाकी स्त्री मेचकने तथा उद्धरे १८ कंचनके राजा बईचकी कन्या अंजनाने समाधिमरण किया।
(३६) नं० ५२ सन् १३९४ वही ग्राम, द० पूर्व, सरोवरके उत्तर। सोराबनिवासी तम्मगौड़ने नोकिलेयकप्प, वैद्यसे अपना रोग असाध्य जान मुनि सिद्धांतिदेवकी आज्ञासे समाधिमरण किया। ___(३७) नं० ९७ सन् ११३२ ग्राम चत्रदहल्ली, अमृतेश्वर मंदिरके सामने । मूलसंघ देशीयगण माघनंदि भ०का शिष्य श्रावक वल्लीदास गोवुन्दके पुत्र बोप्पय्याने समाधिमरण किया।
___ (३८) ग्राम हीरे-आवली-ध्वंश जैन वस्तीके पास २५ पाषाण समाधिमरणके स्मारकके हैं जिनका संक्षिप्त विवरण नीचे प्रकार है