________________
३०४]
प्राचीन जैन स्मारक ।
राज्यधानी बेलगामी नगरमें जिन मंदिरके लिये बलात्कारगणके मेघनंदि भट्टारकके शिष्य केशवानंदी अष्टोपवासी भट्टारकके चरण धोकर जनाहुति शांतिनाथने जिट लिगे ७० में ५ मन चावलके योग्य भूभि दी।
(१०) नं० १२४ सन् १०७७ वेलगामीमें वदगुजर लोंडके पास । जब चालुक्य त्रिभुवनमल्ल महाराज एटगिरिपर थे तथा वनवासीमें उनके नीचे महासामंताधिपति दंडनायक कर्मदेव राज्य करते थे, श्री गुणभद्र व्रतीके शिष्य सोम भायी जकब्बे पुत्र प्रतिकठसिंहने धर्मार्थ एक ग्रामकी प्रार्थना की। दंडनायकने महारान त्रिभुवनमलको कहकर चालुक्य गंगपरमादी जिनालयके लिये निसको उसने राज्यधानीने बनवाया था, जिट्टलिगे ७० में ग्राम मनवान अर्पण किया। श्री मूलसंघ सेनगण पोगरी गच्छके रामसेन पंडितके पग धोकर ।।
(११) नं० १३४ ता० १ ०७५ बेलगामी चन्नवासवप्पाके खेतमें एक । खंडित जैन मूर्तिपर । बलात्कारगणके चित्रकूटान्नाय दावली मालवके शांतिनाथदेवके वंशने श्रीमुनिचन्द्र सिद्धांतदेव थे उनके शिष्य अनन्तकीर्तिदेवने हेगड़े केशवदेवकी सेवामें दान किया।
(१२) नं० १३६ सन् १०६८, बेलगामी, वददियारलोंडके खेतमें । जब चालुक्य त्रैलोक्यमल्ल अहबमल्लदेव राज्य करते थे तब उसको लाट, कलिंग, गंग, करहाट, तुरुप्क, वराल, चोल, करनाटक, सुराष्ट्र, मालव, दशार्णव, कोशल, केरल आदिके राजा कर देते थे। मगध, अन्न, अवंति, बंग, द्रविल, कुरु, अभीर, पंचाल, लाल आदिके राजाओंसे युद्ध कर हराया । इन्द्रसे युद्ध कर कर देनेपर