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कने ताग
मुनिका जीपुर तागुम्बी, मा
२८४] प्राचीन जैन स्मारक । जक्कनव्वे थी। इनके पुत्र भरत और बाहुबलि थे। मींची राजा और मरुदेवीकी कन्या चामियक्का थी। इसके भाई चौंड और कूचियन थे। इस चामियकाने नयकीर्तिके स्वर्गवास पीछे तगदूर में जिनालय बनवाया व दान दिया । सागौंडके पुत्र एयगोविंद और मल्लय नायकने तागदूर व वम्मगट्ट ग्राम दिये व रायगौंडोंने कोठीपर भूमि श्रीकल्याणकीर्ति मुनिपकी सेवामें भेट की।
होले-नरसोपुर ता० । (३३) नं० १६ करीब १०८० ग्राम गुब्बी, मादलहमिगेकी भूमिमें एक खम्भेपर। महामंडलेश्वर त्रिभुवनमल्ल चोल कांगलदेवके सेवक रावसेव्यके पोते अदरादित्य उनके आधीन सरदार बुवेय अदियायकने श्रीपद्मनंदिदेवकी सेवामें भूमिदान की।
अकलगुड ता० । (३४) नं० १२ सन् १२४८ ग्राम मललकेरी, ईश्वर मंदिरके सामने पाषाणपर । गंग होयसाल प्रताप चक्रवर्ती वीर सोमेश्वरदेवके राज्यमें मूल सं० दे० ग० पुस्तक ग० कुन्द० माघनंदव्रतीके शिष्य भानुकीर्ति उनके शिप्य माघनंदी भट्टारक इनका शिप्य श्रावक सोवरस था। उसके पुत्र सेनाधिपति शांतने यहांके श्री शांतिनाथ जिनमंदिरका जीर्णोद्धार कराया और सुवर्ण कलश चढ़ाया व पूनादानके लिये भूमि दान दी।
(३५) नं० ९६ सन् १०९५-सोमेश्वर ग्राममें वासव मंदिरके खंभेपर-स्मारक अर सव्वे गंती आर्यिकाका जो सुराष्ट्रगण केकलनेलेके श्री रामचंद्रदेवकी शिष्या थी।
(३६)नं०९७ ता० १०९५ करीब । वहीं मुखमंडपके पास ।