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मदरास व मैसूर प्रान्त |
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(६) समर परशराम - जब इसने मुद्राचय या चलदंगगंग या गंग भट्टको संहार किया - जिसने चामुण्डके छोटे भाई नागवमका वध किया था ।
(७) सत्य युद्धिष्ठिर - यह चामुण्डराय बड़ा सत्यवादी थी । कभी हंसी में भी झूठ नहीं बोलता था । यह बड़ा साहित्य प्रेमी था । इसने कड़ी में चामुण्डराय पुराण सन् ९७८ में लिखा- उसकी प्रशस्ति में लिखा है कि इसका स्वामी जगदेकवीर हैं व गुरु श्री अजितमेन मुनि हैं । (सं० नोट - यह बात प्रसिद्ध है कि इसने संस्कृत चारित्रसार जैन ग्रंथ व श्रीगोमटसारकी कर्नाटकी भाषा में टीका लिखी इसीके ऊपरसे केशववर्णीने उसकी संस्कृतवृत्ति लिखी । चामुण्डरावने देशी याने कर्णाटकी भाषा में गोमटसारकी टीका लिखी, यह बात गोमटसार कर्मकांडकी नीचे लिखी गाथाओंसे प्रगट है । राजा चामुण्डराय के प्रश्नके वशसे ही श्रीनेमिनाथ सिद्धांत चक्रवतीने गोमटसार ग्रन्थ लिखा था---
जां गुणा विस्संता गणहरदेवादि इड्डि पत्ताणं । सो अजियसेग गाहो जस्सगुरु जयउ सो राओ ॥ ९६८ ॥
भावार्थ - जिनके भीतर गणधर देवादि ऋद्धि प्राप्त मुनियोंके समान गुण वसते हैं ऐसे श्रीअजित सेननाथ जिसके गुरु हैं वह राजा जयवंत हो
सिद्धंतु दय तदुग्गय णिम्मल वरणेमिचन्दकरकलिया ।
गुण रयण भ्रमणं हिमइ वेला मरउ भुवणयलं । ९६७ ॥ भावार्थ - जिसकी बुद्धि रूपी वेला या तरंग सिद्धांत रूपी उदयाचल पर्वत से उदय प्राप्त निर्मल नेमिचन्द्र आचार्य रूपी चंद्र
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