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मदरास मैसूर प्रान्त। [२३९ चारित्रवीर गंगवंशी मारसिंह-इसमें कथन है कि राना मारसिंह सत्त्यवाक्य कोंगुनीवर्मा धर्म महाराजाधिराजा बड़ा वीर था । इसने राष्ट्रकूट महाराज कृष्ण तृ० की ओरसे उत्तर प्रांतको विजय किया इसलिये इस मारसिंहको गुर्जरोंका राजा कहते थे । इसने कृष्ण तृ०के भयानक शत्रु अल्लाहका घमंड चूर किया। विंध्यवासी किरातोंको भगाया, मान्यखेड़में कृष्णा नृ०की सेनाकी रक्षा की। राष्ट्रकूट राजा इन्द्रचतुर्थका राज्याभिषेक कराया। पातालमल्लके छोटे भाई वज्जालको हराया । बनवासीके अधिकारीको पकड़कर उसपर अधिकार किया, इसने मथुरावासी राजाओंसे विनय प्राप्त किया, नोलम्ब राजाओंको नष्ट किया । इसीसे इसकी उपाधि नोलम्बकुलांतक पड़ी। इसने उ गीका किला लिया। सावर सर्दार नारंगीको मारा, चालुक्य राजकुमार रानादित्यको हराया। इसने तापी, मान्यखेड़, गोनूर, बनवासीकी उडूंगी व पामसी किलेकी लड़ाइयोंको जीता । जैनधर्मकी शिक्षाको स्थिर किया । बहुतसे स्थानोंपर निनमंदिर व मानस्तंभ बनवाये ।
“ Maintained doctrine cis Doctrine, erected temples and main stambha at many places."
___ अंतमें राज्य छोड़कर इसने तीन दिनका सल्लेखना व्रत लेकर श्रीअजित भट्टारकके चरणोंमें बंकापुर (धारवाड़ ) के भीतर समाधिमरण किया । इसकी उपाधियां नीचे प्रकार थीं।
“ गंगचूड़ामणि, नोलम्घातक, गुहियगंग, चलदुत्तरंग, मंडलीक त्रिनेत्र, गंगविद्याधर, गंगकंदर्प, गंगवज और गंगसिंह ।"
कोरगढ़का लेख भी जो सन् ९७१ का है कहता है, कि इसने उच्छंगीके किलेके लिये राजादित्यके साथ युद्ध किया । कुडलूरके