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मदरास व मैसूर प्रान्त। [२२३ ईनका सेनापति था । यह कोट सन् १११७में बनावायागया। श्री गोमटस्वामीके चारों तरफ जो कोठरियां व घेरा हैं उनमें सब ४३ मूर्तियां हैं। उनमें से दो यक्षिणी कूष्मांडिनीकी हैं, शेष २४ तीर्थकरोंकी हैं। किसी२ तीर्थकर दो दो तीन तीन हैं । ये भिन्न भिन्न समयमें स्थापित हुई थीं। इनका वर्णन नीचे प्रकार है--
(१) कूप्मांडिनीदेवी ३ फुट ऊंची । दाहने हाथमें फूलोंका गुच्छ व बाएं हाथमें फल लिये हुए हैं । इसपर लेख नं० १८५ (१०४) कहता है कि इसको अनुमान सन् १२३ १में नयकीर्ति सिद्धांतचक्रवर्तीके शिष्य श्रीबालचन्द्रदेव उनके शिष्य श्रावक केती सेठीके पुत्र वम्मीसेठीने स्थापित की । (२) श्रीचंद्रप्रभु-कायोत्सर्ग ३।। फुट ऊंची, (३) श्रीपार्श्वनाथ ५ फुट ऊंची ७ फण सहित, (४), शांतिनाथ ४॥ फुट (५) रिषभदेव ५ फुट । लेख नं० १८७ कहता है कि इसे श्रीनयकीर्ति सिद्धांतदेवके शिष्य श्रावक वासवी सेठीने करीब ११८० सन्के स्थापित किया (६) नेमिनाथ ५फुट (७) अनितनाथ ४॥ फुट (८) वासपुज्य ४|| फुट । यहां लेख नं० १८८नं० १८७ के समान है (९) से (१२) तक विमलनाथ, अनन्तनाथ, नेमिनाथ और संभवनाथ । प्रत्येक ४ फुट ऊंचे (१३) सुपार्श्वनाथ ४ फुट इनपर तीन फणका सर्प है (१४) पार्श्वनाथ ६फुट।
दक्षिणकी ओर-(१५) संभवनाथ ४॥ फुट । लेख नं. १८९ कहता है कि इसे श्रीनयकीर्ति सि० च के शिष्य श्रावक वल्लैयने सन् ११८०के करीब स्थापित किया (१६) से (२१) तक सीतलनाथ, अभिनन्दन, चंद्रप्रभु, पुप्पदंत, मुनिसुव्रत, श्रेयांस हरएक ४ फुट ऊंचे (२२) विमलनाथ ४ फुट लेख नं० १९० लेख