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मदरास व मैसूर प्रान्त | [ १७३ सोसिले । कावेरी की बांई तटपर प्राचीन नगर है । पुराना नाम था तलवनपुर । यह गंगराजाओं का मुख्य स्थान तीसरी से ११ वीं शताब्दी तक रहा है ।
(३) वेलदपुर - ता० हुन्सुर - यहांसे उत्तर पश्चिम २० मील । यह नोकदार पहाड़ी ४३८९ फुट ऊंची है ।
यह प्राचीनकाल में जैनियोंका मुख्य स्थान था । यहां १०वीं शताब्दी में विक्रम राजा द्वारकासे भागकर आया था और वसा था । उसका पुत्र चेन्गलराय था । इसने जैनधर्म छोड़कर लिंगायत धर्म स्वीकार किया |
(४) येलवल-ता हुन्मूर, मैसूरसे उत्तर पश्चिम ९ मील | यहांसे उत्तर ३ मील श्रवणगुत्त पहाड़ी है, उसपर एक श्रीगोमटस्वामी की जैनमूर्ति येनरकी मृर्ति के समान है । यह २० फुट ऊंची है । (५) सालिग्रामनगर - ता० परिपपाटन - सन् १८९१ में येजेटोरसे उत्तर १२ मील । यहां १८९१ में १८१ जैन थे ।
(६) सरंगापट - कावेरी नदीके उत्तर तटपर । यहां एक प्राचीन शिलालेख नौवीं शताब्दीका गंगवंशी राजाका पाया गया है जिसमें लिखा है कि श्रवणबेलगोलाकी करवप्पु पहाड़ीपर मुनि भद्रबाहु और चन्द्रगुप्तके चरण अंकित हैं। यहां सन् १४५४ में नागमंडलका शासक तुम्मनेर हव्वार था । इसने यहांसे दक्षिण ५ मील कलावाड़ीनगर में खड़े हुए १०१ जैन मंदिरोंको विध्वंश कर उनके मसाले से रंगनाथका मंदिर और किला बनवाया ।
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(७) येलन्दर - ता० येलन्दर - मैमूर से दक्षिणपूर्व ४२मील | यहां के निवासी एक जैन विशालाक्ष पंडित थे जिनको येलंदुर