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प्राचीन जैन स्मारक ।
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मैसूर के वर्तमान राजा - इनका उदय दो क्षत्रिय यादववंशी राजकुमारोंसे है जिनका नाम विजय और कृष्ण था । ये द्वारका से दक्षिण में सन् १३९९ में आए, महिसूरमें रहे और यहां ओडयरकी उपाधिसे राजा होगए । इनका धर्म लिंगायत हुआ । चौथा राजा चामराज तृ० ने सन् १९१३ से १५५२ तक राज्य किया । अब यही ओडयरवंशी राजा राज्य कर रहे हैं । इस वंशके राजाओंने भी जैनधर्मसे बहुत हित दर्शाया । श्रीमद् राज ओडयरने शाका १५३३ या सन् १६११ में श्री श्रवणबेलगोला क्षेत्रके लिये वार्षिक ३०००) देना प्रारंभ किया व श्रीमद् बड़े देवराज ओडयर बहादुरने शाका १९९५ या सन् १६७३ में श्रीगोमटस्वामीका अभिषेक कराया तथा पूजाके लिये मदन ग्रामकी आमदनी अर्पण की । फिर शक १९९७ या सन् १६७५ में श्री चिक्कदेवराज ओडयर बहादुर ने भी मस्तकाभिषेक कराया और कल्याणी नामका सरोवर बनवाया । फिर शक १७२२ या सन् १८०० में श्री भुम्मडि कृष्णराज ओडयर बहादुरने श्री गोमटस्वामीका महाअभिषेक कराया तथा शाका १७५२ या सन् १८३० 0 में श्रवणलगोला, उत्तेनहली, होसहली, नागय्यम्, कोप्पतु, और वेहनकोष्पत्त ये पांच ग्राम दिये व आगे कव्वालुग्राम भी दिये । सन् १९२५ में श्रीमत् कृष्णराज ओडयर बहादुर ने भी श्रीगोमटस्वामीका महाअभिबेक कराया व क्षेत्रपर पधारकर सभा कराके भारतवर्षीय दि० जैन समाजकी तरफंसे सम्मान प्राप्त किया ।
Mysore Vol. I by Rice नाम पुस्तक ८० ४६० में नीचे लिखा हाल दिया हैं
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