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प्राचीन जैन स्मारक ।
ग्रन्थ लिखा है । शिवमार द्वि० गजाष्टकका कर्ता था । इस समय राष्ट्रकूटोंका बल बढ़ गया, उन्होंने गंगराजाको हटाकर कैद कर लिया । राष्ट्रकूट राजा गुरुड़ या प्रभूतवर्षने उसे छुड़ाया परन्तु फिर कैद कर लिया । तब राष्ट्रकूट वंशके गवर्नरोंने राज्य किया । सन् ८०० में धारावर्षका कुम्भ या राणावलोंक गवर्नर था । उसके समयके तीन लेख पाए गए हैं । (श्रवणगोला लेख नं ० २४ ) । ८१३ में चकी राजाने शिवमार द्वि०से संधि कर ली तब फिर शिवमार राज्य करने लगा । इस समय पूर्वीय चालुक्योंके साथ गंग और राट्ट राजाओंने मिलकर १०८ लडाइयां १२ वर्षमें लड़ीं । राम प्रथमने सब देश राष्ट्रकूटोंसे ले लिया । इसका युवराज सन् ८७० में बूतरास था । उसका एक पुत्र रणविक्रमय्य था इसके पीछे नीतिमार्गने राज्य किया । इसके समयके बहुतसे लेख मिलते हैं । बुटुगने अपने सबसे बड़े भाई राचमल्लको मार डाला ।
ने सात मालवोंको जीत लिया और अपने देशको गंगमालय कहने लगा । इसकी सबसे बड़ी बहिन पनि बब्बे थी यह दोरपय्याकी विधवा स्त्री थी । इसने ३० वर्षतक आर्यिका के व्रत पाले तथा सन् ९७१ में समाधिमरणसे स्वर्ग प्राप्त किया । भारसिंहका पुत्र राजमल्ल द्वि० स्वतंत्र राजा था । इसीका मंत्री प्रसिद्ध चामुंडराय था जिसने श्रवणबेलगोला में प्रसिद्ध श्रीगोमटस्वामीकी मूर्तिकी प्रतिष्ठा की थी । चोलोंने तलकाडको ले लिया और सन् १००४ में गंगोंको भगा दिया तब इन गंगराजाओंने चालुक्य और होयसाल वंशी राजाओंकी शरण ली । तब मैसूर में इनका राज्य होगया
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कलिंग तथा उड़ीसा गंगवंशी राजाओंने अपना शासन