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प्राचीन जैन स्मारक |
(५) इसी वस्तीके भीतर शाका १९३९८ (सन् १४७६) । (६) हीरे अम्मनोवर वस्तीके एक स्तम्भपर - यह मंदिर बना शाका १४६१ (सन् १९३९) में |
(७) तीर्थकर वस्तीके पास एक पाषाणपर - शाका १२२९ (सन् १३०७) में गुरुवस्तीको दान | श्रीपार्श्वनाथ वस्ती में शाका १३३३ का लेख है कि मंदिरका जीर्णोद्धार वीर नरसिंह लक्ष्यप्पा, अरसूवंग राजा ओडियर और शंकरदेविएल मुलरेने कराया । यहां रत्नविम्ब हैं व धवल, जयधवल, महाधवलादि प्राचीन जैन ग्रन्थ भंडार हैं ।
(५) उल्लाल - ता० मंगलोर । यहांसे २ मील नेत्रावती नदीके दक्षिण व मंगलोर नगर के सामने | यह १६ व १७वीं शताब्दी में प्रसिद्ध स्थानीय जैन राजवंशका स्थान था। यहां एक किलेके ध्वंश हैं | यहांसे ६ मील उचिलका किला है जहां उल्लाल की रानी रहती थी । यहीं मनेलकी रानीका महल है ।
(६) येनूर - ता० मंगलोर - यहांसे २४ मील | यहां एक दफे ऐधयुक्त नगर था । गुरुपुरनदी के दक्षिण तटपर श्रीगोमटस्वा - मोकी मूर्ति ३७ फुट ऊंची है, इसका निर्माण सन् १६०३में हुआ था । चारों तरफ ७ या ८ फुट ऊंचा कोट है । यहां ८ जिनमंदिर और हैं। यहां भी ६० वर्षमें एक दफे अभिषेक होता है । एक अभियेक सन् १८८७ हुआ था। यहां के कुछ शिलालेख नीचे प्रमाण हैं।
(१) विमन्नर वस्ती में - शाका ११२६ (सन् १६०४) किसी उडइयर द्वारा दान । (२) गोमटेश्वर की मूर्तिपर शाका १५२६ (सन् १६०४) श्री रायकुमार द्वारा दान । (३) गोमटेश्वर वस्ती में