________________
११२ ]
प्राचीन जैन स्मारक ।
पर सर्पके फण हैं । कुछ पर तीन छत्र हैं । कुछमें चमरेन्द्र भी हैं । इसके आसपास कई शिलालेख वट्टेलहू भाषामें हैं ।
(६) उत्तम पालइयम - ता० पेरियकुलम - यहांसे दक्षिण पश्चिम २८ मील । यहां द्रोपदी मंदिर है उसके ठीक उत्तर एक बड़े पाषाणके मुखपर कुरुप्पन मंदिर के निकट बहुत ही बढ़िया नग्न जैन तीर्थंकरोंकी मूर्तियां हैं । दौ लाइन में हैं । १ लाइनमें ११ हैं उनमें दो १॥ फुट ऊँची व शेष छोटी हैं, कुछ कायोत्सर्ग कुछ पल्यंकासन हैं। दूसरी नीचेकी लाइन में ऐसी ही आठ मूर्तियां हैं । २१ फुट लम्बी व १० फुट ऊँची जगह इनसे शोभायमान है ।
1
( 9 ) कोवितन्कुलम् - ता० तिरु मंगलम् - यहांसे दक्षिण २० मील | इसके पश्चिम एक कृष्ण पाषाण पर एक जैन तीर्थकरकी मूर्ति ३ || फुट ऊंची २ फुट चौडी अंकित है, बैठे आसन है। ग्रामवासी पूजते हैं ।
1
(८) कुप्पल नत्तम - ता० तिरुमंगलम् - यह स्थान प्राचीन जैन स्मारकोंके लिये प्रसिद्ध है । ग्रामके दक्षिण पश्चिम पोइगई मलाई नामकी पहाड़ी है । इसके उत्तर मुखपर एक गुफा है जिसके द्वारपर चट्टान के ऊपर जैन तीर्थकरों की मूर्तियां तीन लाइनमें हैं । पहली लाइन में ४ मूर्तियां प्रत्येक २ फुटसे १ ॥ फुट बेटे आसन तीन छत्र व नमरेन्द्र सहित हैं । दूसरी लाइनमें ३ कायोत्सर्ग व एक बैठे आसन मूर्तियां छत्र सहित ४ इंचसे ३ इंचकी हैं । तीसरी लाइनमें एक कायोत्सर्ग मूर्ति १ फुट ऊंची है, दोनों तरफ हाथी है । इस स्थानको समनार कोबिल ( श्रमण मंदिर या जैन मंदिर) कहते हैं। लोग इन मूर्तियों को पूजते हैं, तेल चढ़ाते हैं ।
1