________________
मदरास व मैसूर प्रान्त। [१०५ (२) नर्त्तमलाई-पुडु० से उत्तर पश्चिम ९ मील । पहाड़में खुदा मंदिर है । चट्टानपर जैनमूर्ति अंकित है।
(३) सीतन्नवासल-पुडु० से उत्तर पश्चिम १० मील । पर्वतमें काटा हुआ जैनमंदिर है। जैन लोग दर्शन करने आते हैं।
(४) पिट्टइवात्तलई-त्रिचिनापलीसे पश्चिम १५ मील । करूररोडसे विक्रमको जो मार्ग गया है उसके एक तरफ दो जैनमूर्तियां हैं।
मदरास एपिग्राफी दफ्तरमें चित्रादिसी नं० ३१-अन्नवासलके बागमें एक जैनमूर्तिका दृश्य है।
___- 388
(१९) मदुरा जिला । यहां ८७०१ वर्गमील स्थान है। चौहद्दी है-उत्तरमें कोयम्बटूर और त्रिचिनापली, उत्तर पूर्व तंबोर, पूर्व व दक्षिण पूर्व पाल्क स्टेट व मनारकी खाड़ी, दक्षिण और दक्षिण पश्चिम टिन्नेवेली।
इतिहा:-मदुरा जिलेके समान और किसीका इतना पुराना इतिहास नहीं है । टावनकोर राज्य और त्रिचिनापलीको लेकर यह पांड्य वंशका राज्य था। इनका अस्तित्त्व सन् ई० मे ३०० वर्ष पूर्व मिलता है। उस समय पांड राना राज्य करता था। ग्रीक एलची मेगस्थनीज लिखता है कि यहां रोमके सिके व्यवहार होते थे। चौथा पांड्य राना उग्र पेरूवलूटी ( १२८ - १४० ) था जिसके दरबारमें ४८ कवियों के सामने तिरुवल्लुवरकी प्रसिद्ध काव्य कुरल प्रकाशित की गई थी।
सं० नोट-सी० एस० मल्लिनाथ मदरासने सिद्ध किया है