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प्राचीन जैन स्मारक ।
तालुका चित्तूर
(९) मेलपादी - चित्तूर से दक्षिण पश्चिम १६ मील पूर्वीय कोने में एक प्राचीन जैन मंदिर है जिसको अब शिवमंदिर में बदल लिया गया है । यह बात यहां प्रसिद्ध है कि यह पहले जैन मंदिर था । ३ प्रसिद्ध पंडित अप्पर, सम्बुन्दर और सुन्दर इस मंदिरको शिवमंदिरों में बदलनेको आए परन्तु पोन्ने नदीकी बाढ़ आनेसे वे न आसके तब उन्होंने तपस्या की और अंतमें इसे शिवमंदिर बना लिया ऐसी लोकोक्ति है ।
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(१०) वल्ली मलई - मेलपादीसे उत्तर पश्चिम १ मील । यह जैनियोंकी बहुत प्रसिद्ध पुजाकी जगह है। बहुतसी जैन मूर्तियां चट्टानोंपर अंकित हैं। कुछ मंदिरों को शिवमतियोंने अपना कर लिया है । यहां एक बड़ी गुफा है - ४० फुट लम्बी, २० फुट चौड़ी व ७ से १० फुट ऊंची है। इसके तीन कमरे हैं, इसीमें मंदिर भी है। इस मंदिर के उत्तर और दक्षिण दोनों स्थानोंपर जैन मूर्तियां बहुत सुन्दर हैं। एक मूर्ति बहुत बड़ी है। पहाड़ीके ऊपर भीतें दिखलाई पड़ती हैं। अति प्राचीनकाल में यहां जैन राजाका किला था। यहां एक मंदिर को किसी चोलराजाने बनवाया था ।
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एपिग्रेफिका इंडिका जिल्द ४ ८० १४० में यहांका हाल दिया हुआ है । गुफाके पूर्वीय पहाड़ीकी तरफ जो जैन मूर्तियोंका समुदाय खुदा हुआ है उसके नीचे ४ कनड़ी भाषाके लेख हैं उनमें पहला और तीसरा ग्रन्थ अक्षरोंमें व दूसरा व चौथा कनड़ी अक्षरोमें हैं । इनका भाव नीचे प्रकार है
नं ० १ - गंगवंशी राजा शिवमारके पुत्र श्रीपुरुष उनके पुत्र रण