________________
९.
श्रीमद्राजर्षिरमोघवर्षकृता ।
प्रश्नोत्तररत्नमालिका |
आर्या ।
प्रणिपत्य वर्धमानं प्रश्नोत्तररत्नमालिकां वक्ष्ये । नागनरामरवन्द्यं
देवं देवाधिपं वीरम् ॥ १॥
भवनवासी कल्पवासी देव - और मनुष्योंकरके बंदनकि, देवाधिदेव वर्धमान श्रीवीरनाथ अर्हन्तदेवको नमस्कार करके मैं ( अमोघवर्ष ) इस प्रश्नोत्तररत्नमालिकाको कहता हूं ॥ १ ॥ कः खलु नालंक्रियते दृष्टादृष्टार्थसाधनपटीयान् । कण्ठस्थितया विमलप्रश्नोत्तर - रत्नमालिकया ॥ २ ॥
प्रत्यक्ष और आगमकथित पदार्थोंकें जाननेमें चतुर ऐसा कौन पुरुष है, जो कंठमें धारण की हुई निर्मल प्रश्नोत्तररत्नमालाके द्वारा अपनेको अलंकृत न करे ? अर्थात् कोई नहीं । भावार्थइस रत्नमाला धारण करनेसे सभी श्रृंगारित होंगे ॥ २ ॥