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तीक्ष्ण बुद्धिके कारण और सुशील पुरुषका सम्मान उसके शुद्ध अन्त करण वा संज्ञानके कारण होता है, परन्तु भेद यह है कि बुद्धिमान् पुरुषकी केवल श्लाघा ही श्लाघा होती है और सुशील पुरुषके आचरणको सब लोग ग्रहण करना चाहते हैं।
उच्च पदवीके लोग साधारण मनुष्य जातिमे अलग है और यह पदवी एक दृमरेकी अपेक्षा हीमे प्राप्त हो सकती है। मानुषी जीवनका क्रम प्रत्येक दशामें ऐसा परिमित रक्ग्वा गया है कि बहुत थोड़े लोगोंको उच्च पदवीतक पहुंचनेका अवसर मिलता है. परन्तु प्रत्येक पुरुष आदरसत्कारपूर्वक अपना जीवन सुष्टु रीतिसे व्यतीत कर सकता है । छोटे २ कामोंमें भी मनुष्य सग्लता विशुद्धता और श्रद्धालुताका बर्ता कर सकता है और अपनी २ दशामें उसके अनुसार कृत्य करता रहता है। ___ मनुष्यका जीवन बहुधा साधारण कृत्योंके लिए ही है और अधिक करके वही गुण प्रबल है जिनसे नित्यप्रति काम पडता रहता है ।
प्रत्येकको अपना कृत्य या कर्तव्य करना चाहिये । जान बूझकर कृत्य न करना एक बड़ा भारी दोष है, इस दोपसे हम बचना चाहिये और कटिबद्ध होकर इसका सामना करना चाहिये । कृ. त्यके करनम आनन्द है और उसके न करनेमे दुःख प्राप्त होता है । प्रत्येकको, चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष, अपने २ कृत्य वा कर्तव्य धर्मका जानना अवश्य है । धर्म वा कृत्य मनुप्यके साथ यहां भी है और इस जीवनके अन्तमें भी माथ रहेंगे। __बुद्धिमत्तासे मनुष्य अधिक चमत्कारी और आश्चर्यजनक काम कर सकता है, प्रचुर धनसे बहुतसे अद्भुत काम निकल सकते है, परन्तु जो काम दृढ़ श्रद्धालु और धार्मिक पुरुषोंसे प्रकट होते हैं वे बहुत