________________
प्रबुद्धा नमो लोकमाता ॥ दुराचार दुनैहरा शंकरानी । नमो देवि वागेश्वरी जैनबानी ॥२॥ सुधा धर्म संसाधनी धर्मशाला । सुधा तापनि शनी मेघमाला ॥ महामोहविध्वंसनी मोक्षदानी। नमो देवि वागेश्वरी जैनवानी ॥३॥ अखै वृक्ष शाखा व्यतीताभिलाखा । कथा संस्कृता प्राकृता देश भाखा ॥ चिदानंद भूपालकी राजधानी। नमो देवि वागेश्वरी जैनवानी॥४॥समाधान रूपा अनूपा अछुद्रा । अनेकान्तधा स्यादवादांकमुद्रा॥ विधासमधाद्वादशांगी बखानी।नमोदेविवागेश्वरी जैनवानी ॥५॥ अकोपा अमाना अदंभा अलोभा। श्रुतज्ञानरूपी मतिज्ञान शोभा ॥ महापावनी भावना भव्य मानी । नमो देवि वागेश्वरी जैन. बानी ॥ ६॥ अतीता अजीता सदा निर्विकारा। विषै वाटिका खंडिनी खडगधारा ॥ पुरापाप विक्षेपकर्तृ कृपानी । नमो देवि वागेश्वरी जैनवानी॥७॥अगाधा अबाधा निरंध्रा निराशा। अनंता अनादीश्वरी कर्मनाशा ॥ निशंका निरंका चिदंका भवानी । नमो देवि वागेश्वरी