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________________ जैनाचायों का अलंकारशास्त्र में योगदान १ उल्लेख नही है, किन्तु 'पार्श्वनाथ चरित' ' 'जइदिचरिया ( यति-दिन वर्मा) और 'कालिकाचार्यकथा' नामक ग्रन्थो मे कालिकाचार्य-सन्तानीय भावदेवसूरि का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, अत यह कहा जा सकता है कि उपर्युक्त ग्रन्थों के रचयिता प्रस्तुत भावदेवसूरि ही होगे । उपर्युक्त समय निर्धारण उनके ' पार्श्वनाथ चरित' के आधार पर किया गया है । na अगरचन्द नाहटा के एक लेख से ज्ञात होता है कि भावदेवसूरि पर एक रास की रचना की गई है, जिसमे उनके शीलदेव आदि १८ स्थविर शिष्यों का उल्लेख है । रास मे यह भी कहा गया है कि स० १६०४ मे भावदेवसूरि को प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी। इसके अतिरिक्त उक्त लेख से यह भी ज्ञात हुआ है कि अनूप संस्कृत लाइब्र ेरी मे सूरि जी के शिष्य मालदेव रचित 'कल्पान्तर्वाच्य' नामक ग्रन्थ की प्रति उपलब्ध है जिसकी रचना स० १६१२ या १४ मे की गई है, उसकी प्रशस्ति के एक पद्य मे कालकाचरित का उल्लेख है इत्यादि । उक्त रास के नायक भावदेवसूरि को स० १६०४ मे प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी तथा पार्श्व नाथ-चरित' के रचयिता भावदेवसूरि ने 'पार्श्वनाथचरित' की रचना स० १४१२ मे की है । इन दोनो तिथियों में पर्याप्त अन्तराल है । अत उक्त दोनो आचार्यों को एक ही मानना युक्ति सगत प्रतीत नही होता है । सम्भव है प्रशस्ति बाद में जोड़ी गई हो और लिपिकार ने भावदेवसरि की प्रसिद्धि के कारण प्रमादवशात् कालवाचरित का उल्लेख करने वाले उक्त पद्य का समावेश कर दिया हो । १ पार्श्वनाथचरित, प्रशस्ति, ५, १४ । २ सिरीकालिकसूरीजं वसुव्यव भावदेवसूरीहि । सकलिया दिनचरिया एसा योवमइज ग (ई) जोगा || - यति दिनचर्या - प्रान्ते, गा० १५४ ( अलकार-महोदधि, प्रस्तावना, पृ० १७) । ३ तत्पादपद्ममधुपा विज्ञा श्रीभावदेवसूरीणा । श्री कालकाचरित पुन कृत यै स्वगी पुस्यें ॥ -- जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग १४, किरण २, पृ० ३८ ॥ ४ 'भावदेवसूरि एवं लाहौर के सुलतान सम्बन्धी विशेष ज्ञातव्य' -- यह लेख जैन सिद्धान्त भास्कर भाग १४, किरण २ के ३७ पृष्ठ पर प्रकाशित है । ५ तत्पादपदम् मधुपा स्वर्गा पूयें । - जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग १४० किरण २, पृ० ३० ।
SR No.010127
Book TitleJainacharyo ka Alankar Shastro me Yogadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year
Total Pages59
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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