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निर्माण कार्य की रूपरेखा
लेआउट प्लान : रेखा-चित्र और नक्शा
कार्यक्रम के अनुसार मकान या मंदिर का लेआउट प्लान और नक्शा बना लिया जाए । 'लेआउट' यानी पद-विन्यास के रेखांकन में वास्तु-विद्या के साथ ज्योतिष, गणित, लोक व्यवहार आदि का ध्यान रखना आवश्यक है। वास्तु-विद्या मे ऐसी कई परपराएँ प्रचलित हैं, यथा- शेषनाग चक्र, वास्तुपुरुष-मंडल, वृषवास्तु-च -चक्र आदि ।
इन विभिन्न चक्रो के माध्यम से निम्नलिखित इक्कीस अगों के शुभअशुभ फल पर विचार किया जाएः क्षेत्रफल, आय, नक्षत्र, गण, दिशा, वैर, व्यय, तारा, नाडी, राशि, स्वामी, गृहनाम, अश, लग्न, तिथि, वार, करण, योग, वर्ग, तत्त्व और आयु ।
ये सब +2 वास्तव में 43 नुस्खे या फार्मूले हैं, जिनसे यह जाना जाता है कि गृहस्वामी, स्थपति आदि मकान या मंदिर का कौन-सा भाग कहाँ, कब, किस तरह बनाएँ; ताकि उन्हे अशुभ नहीं, बल्कि शुभ फल मिले। ये नुस्खे आवश्यकता पड़ने पर निर्णायक भूमिका भी निभाते है ।
ये नुस्खे गूढ हैं और आधुनिक निर्माताओ को अव्यावहारिक भी लग सकते है, तथापि इनकी उपयोगिता है, क्योकि 1. इन्हे वास्तु-विद्या के आचार्यों ने लंबे अनुभव के आधार पर लिखा है, 2. इनमे ज्योतिष, गणित आदि का समावेश है, जो वैज्ञानिक विद्याएँ है, 3. इनके पालन से शुभ फल और उल्लघन से अशुभ फल मिलते हुए देखे गए है, 4. वत्थु-सार- पयरण' में विशेषरूप से लिखा है कि "जैसे कन्या और वर की कुडली का मिलान किया जाता है, वैसे ही गृहस्वामी और गृह-भूमि की राशि आदि का मिलान भी किया जाना चाहिए।" इनका पालन करते हुए भी आधुनिक वैज्ञानिक रीति-नीति अपनाई जा सकती है।
वास्तु-पुरुष मंडल
वास्तुपुरुष - मंडल से मकान या मंदिर के अधिष्ठान (चौकी), स्तभ, प्रस्तार, कर्ण, स्तूपी, शिखर आदि भागो की आनुपातिक संयोजना मे
(जैन वास्तु-विद्या
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