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________________ अजीवतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण प्र० २१-अज्ञानी अपना जन्म और मरण किससे मानता है ? उ०-शरीर की उत्पत्ति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरण मानता है। प्र ०२२-शरीर की उत्पत्ति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरण-ऐसी मान्यता को छहढाला की प्रथम ढाल मे क्या बताया है ? उ.-"मोह महामद पियो अनादि, भूल आपको भरमत वादि" अर्थात् वीतराग विज्ञानतारुप निज शुद्ध आत्मा को भूलकर शरीर की उत्पत्ति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरणऐसी मान्यता को मोहरुपी महामदिरापान बताया है। प्र० २३-शरीर की उत्पत्ति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरण-ऐसी मान्यता को मोहरुपी महामदिरापान छहढाला की प्रथम ढाल मे क्यो बताया है ? उ०-(१) तराजू के एक पलडे मे स्वय वीतराग विज्ञानतारुप एक ज्ञायक शुद्धात्मा । (२) तराजू के दूसरे पलडे मे शरीर की उत्पत्ति व मरणरुप अनन्त परमाणु का स्कध। (३) इन सव मे एकत्व बुद्धि होने से शरीर की उत्पति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरण अत ऐसी मान्यता को मोहरुपी महामदिरापान बताया है। प्र० २४-शरीर की उत्पत्ति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरण-ऐसी मोहरूपी महामदिरापान का फल छहढाला की प्रथम ढाल मे क्या बताया है ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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