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( २३८ ) प्र० ३७०-१४ मार्गणाओ मे "सयम मार्गणा” बतलाने के पीछे क्या रहस्य है?
उत्तर-(१) सामायिक, छेदोपस्थापन, परिहार विशुद्धि, सूक्ष्म साम्पराय और यथाख्यात रुप से पाच प्रकार का चारित्र तथा सयमासयम और असयम ये दो प्रतिपक्ष रुप भेद मिलाकर सात प्रकार की सयम मार्गणा है । (२) चारित्र गुणादि रुप त्रिकाल भगवान एक रुप पडा है। (३) उसका आश्रय लेकर प्रथम स्वरुपाचरण की प्राप्ति करके क्रम से सामायिक आदि की वद्धि करके यथाख्यात की प्राप्ति होवे-यह सयम मार्गणा का मर्म है।
प्र० ३७१-१४ मार्गणाओ मे "दर्शन मार्गणा" के पीछे क्या मर्म है ? ___ उत्तर-(१) चक्षु-अचक्षु-अवधि और केवल दर्शन के भेद से चार प्रकार की दर्शन मार्गणा है । (२) दर्शन गुणादि रुप त्रिकाली भगवान आत्मा पडा है (३) उसका आश्रम लेकर केवल दर्शन की प्राप्ति होवे-यह दर्शन मार्गणा को जानने का मर्म है।
प्र० ३७२-१४ मार्गणाओ मे "लेश्या मार्गणा" बताने के पीछे क्या मर्म है ?
उत्तर-(१) परमात्म द्रव्य का विरोध करने वाली कृष्ण, नील, कापोत, तेजो, पद्म और शुक्ल के भेद से लेश्या छह प्रकार की है। (२) परन्तु अलेश्या त्रिकाली स्वभाव एक रुप पडा है । (३) उसका आश्रय लेकर लेश्याओ का अभाव करके पूर्ण अलेश्यापना पर्याय मे प्रगट होवे-यह लेश्या मार्गणा को जानने का मर्म है।
प्र० ३७३-१४ मार्गणाओ मे "भव्य मार्गणा" के पीछे क्या मर्म है?
उत्तर-(१) भव्य और अभव्य के भेद से दो प्रकार की भव्य मार्गणा है। (२) भव्य-अभव्य से रहित त्रिकाल परमात्म द्रव्य एक