________________
( २३६ )
वाला है । ( २ ) आत्मा को जट मन-वचन-काय सम्बन्धी द्रव्यकर्म का उदय है - यह किस अपेक्षा कहा जाता है। ?
उत्तर- अनुपचरित मद्भूत व्यवहाग्नय से कहा जाता है, परन्तु ऐसा है नही, क्योकि आत्मा तो अयोगी स्वभाव वाला है ।
प्र० ३६२ - आत्मा को मन-वचन-काय सम्वन्धी योग का कम्पन है - यह किस अपेक्षा से कहा जाता है ?
उत्तर- उपचरित सद्भूत व्यवहारनय से कहा जाता है । प्र० ३६३ - १४ मार्गणाओ मे "वेद मार्गणा" बतलाने के पीछे क्या ममं है ?
उत्तर- (१) स्त्री वेद, पुरुष वेन और नपुंसक वेद के भेद से वेद मार्गणा के तीन प्रकार हैं । (२) आत्मा के सयोगरूप तीन वेद सम्बधी पुद्गल का सम्बन्ध है । ( ३ ) आत्मा के तीन वेद सम्बन्धी द्रव्य क्रम का उदय भी है । (४) आत्मा मे तीन प्रकार वेद सम्बन्धी राग भी है। (५) परन्तु आत्मा का अवेद स्वभाव त्रिकाल पड़ा है | (६) उसका आश्रय लेकर पर्याय में अवेदपना प्रगट होवे - यह मर्म है ।
प्र० ३६४ - ( १ ) आत्मा तीन वेद सम्वन्धी पुद्गल वाला है । (२) आत्मा के तीन वेद सम्बन्धी द्रव्य कर्म का उदय है । यह किस अपेक्षा कहा जाता है
?
उत्तर -- अनुपचरित अमद्भुत व्यवहारनय से कहा जाता है, परन्तु ऐसा है नही, क्योकि आत्मा तो अवेद त्रिकाल स्वभावी है ।
प्र० ३६५ - आत्मा के वेद सम्वन्धी राग है - यह किस अपेक्षा कहा जाता है ?
उत्तर - उपचरित सद्भूत व्यवहारनय से कहा जाता है । प्र० ३६६ - १४ मार्गणाओ मे "कषाय मार्गणा" बतलाने के पीछे क्या मर्म है
?
उत्तर - ( १ ) क्रोध - मान-माया - लोभ के भेद से चार प्रकार की