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( २२०) प्र० २७७-जीवो के कितने भेद है ? उत्तर-दो भेद है-सिद्ध और ससारी। प्र० २७८-सिद्ध जीव कैसे है ? उत्तर--सिद्ध जीव परिपूर्ण सुखी है। प्र० २७९-ससारी के कितने भेद है ?
उत्तर-तीन भेद है-(१) बहिरात्मा (२) अन्तरात्मा (३) परमात्मा।
प्र० २८०-क्या विश्व के बहिरात्मा सुखी नहीं है ?
उत्तर-मात्र मिथ्या मान्यताओ के कारण चागे गतियो के बहिरात्मा परिपूर्ण दुखी ही है।
प्र० २८१ - बहिरात्मा दुखी क्यो है ?
उत्तर-विश्व के पदार्थ व्यवहारनय से मात्र ज्ञेय है परन्तु बहिरात्मा ऐसा न मानकर पर पदार्थो मे इष्ट-अनिष्ट बुद्धि होने के कारण ही दु.खी है।
प्र० २८२-बहिरात्मा के दु ख को स्पष्ट समझाइये?
उत्तर-आत्मा का स्वभाव ज्ञाता-दृष्टा है सो स्वय केवल देखने वाला-जानने वाला तो रहता नहीं है, जिन पदार्थो को देखता जानता है उनमे इष्ट-अनिष्टपना मानता है। इसलिये रागी-द्वेषी होकर किसी का सद्भाव चाहता है, किसी का अभाव चाहता है । परन्तु उसका सद्भाव या अभाव इसका किया हुआ होता नहीं। क्योकि कोई द्रव्य किसी द्रव्य का कर्ता हर्ता है नही, सर्व द्रव्य अपने-अपने स्वभाव रुप परिणमित होते है । यह बहिरात्मा वृथा ही कषाय भाव से आकुलित होता है।
प्र० २८३-अन्तरात्मा की क्या दशा है ? उत्तर-~-अन्तरात्मा अपनी शुद्धतानुसार सुखी है।