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ज्ञान मति ज्ञान, श्रुत अज्ञान, अवधि अज्ञान (अवि ) और (मणाज्जय केवलग ) मन पर्यय ज्ञान और केवल ज्ञान- इस प्रकार ( णाण) ज्ञानोपयोग (अट्ट विप्प ) आठ प्रकार का है । (च) और वह ज्ञानोपयोग ( पच्चक्ख पक्क्खभेय) प्रत्यक्ष और परोक्ष के भेद से दो प्रकार का है ।
प्र० १४३ - ज्ञानोपयोग किसे कहते है ?
उत्तर - पदार्थो के विशेष प्रतिभास को ज्ञानोपयोग कहते है |
प्र० १४४ - ज्ञानोपयोग के कितने भेद हैं ?
उत्तर - आठ भेद है । पाँच ज्ञान स्प और तीन अज्ञान रुप ।
प्र० १४५ - ज्ञानोपयोग के पाच ज्ञानरूप भेद कौन-कौन से है और तीन अज्ञानरुप भेद कौन-कौन से है ?
उत्तर - ( १ ) मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन पर्यय ज्ञान और केवलज्ञान - ये पाच ज्ञानरुप भेद है । (२) कुमति, कुश्रुत और कुअवधि - ये तीन अज्ञान रुप भेद है ।
प्र० १४६ - मतिज्ञान किसको कहते हैं ?
उत्तर - (१) पराश्रय की बुद्धि छोडकर दर्शन उपयोग पूर्वक स्व सन्मुखता से प्रगट होने वाले निज आत्मा के ज्ञान को मतिज्ञान कहते है । ( २ ) इन्द्रिय और मन जिसमे निमित्त मात्र है - ऐसे ज्ञान को मतिज्ञान कहते है ।
प्र० १४७ - श्रुतज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर - ( १ ) मतिज्ञान से जाने हुए पदार्थ के सम्बन्ध से अन्य पदार्थ को जानने वाले ज्ञान को श्रुतज्ञान कहते है । ( २ ) आत्मा की शुद्ध अनुभूति रुप श्रुतज्ञान को भावश्रुतज्ञान कहते है ।
प्र० १४६ - अवधिज्ञान किसको कहते है ?
उत्तर - द्रव्य-क्षेत्र काल-भाव की मर्यादा सहित रूपोपदार्थ के स्पष्ट ज्ञान को अवधि ज्ञान कहते है ।