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( १८८) प्र० १३०.थोडे मे इस गाथा में क्या बताया है ?
उत्तर-अपने चेतना प्राण का आश्रय ले तो सुखी हो। प्र० १३१-उपयोग अधिकार में कितनी गाथायें ली गई है।
उत्तर-उपयोग अधिकार को तीन गाथाओ मे समझाया गया है।
उपयोग अधिकार (दर्शनोपयोग के भेद)
उवयोगो दुवियप्पो दसण णाण च दसण चदुधा।
चक्खु अचक्खू प्रोही दसणमध केवल णेय ॥ ४ ॥ अर्थ -(उवयोगो), उपयोग (दुवियप्पो) दो प्रकार का है (दसण च णाणं) दर्शन और ज्ञान । (दसण) इनमे से दर्शनोपयोग (चदुधा) चार प्रकार का (णेय) जानना चाहिये। (चुक्खु अचक्खू ओही अध केवल दसणम्) चक्षु दर्शन, अचक्षु दर्शन, अवधि दर्शन और केवल दर्शन।
प्र. १३२-उपयोग किसे कहते है ?
उत्तर-चैतन्य का अनुसरण करके होने वाले आत्मा के परिणाम को उपयोग कहते है। प्र० १३३-उपयोग का द्रव्य और गुण क्या है ?
उत्तर-(१) चेतन जीव द्रव्य है। (२) ज्ञान-दर्शन गुण है। जान-दर्शन का एक नाम चैतन्य है।
प्र० १३४-उपयोग के कितने भेद है। उत्तर-दो भेद है--दर्शनोपयोग और ज्ञानोपयोग । प्र० १३५-चक्षु दर्शन किसको कहते है ?
उत्तर-चक्षु इन्द्रिय के द्वारा होने वाले मतिज्ञान से पहले के सामान्य प्रतिभास को चक्षुदर्शन कहते है।
प्र० १३६-अचक्षु-दर्शन किसको कहते है ? उत्तर-चक्षु इन्द्रिय को छोडकर शेष चार इन्द्रियो और मन के