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प्र० ३ - ज्ञान - श्रद्धान तो एक साथ होते है, तो उनमें कारणकार्यपना क्यों कहते हो ?
उत्तर- "वह हो तो वह होता है" इस अपेक्षा से कारण -कार्यपना कहा है । जिस प्रकार दीपक और प्रकाश दोनो एक साथ होते है, तथापि दीपक हो तो प्रकाश होता है इसलिये दीपक कारण है और प्रकाश कार्य है, उसी प्रकार ज्ञान - श्रद्धान भी है ।
प्र० ४ - केवल ज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर - जो ज्ञान तीन काल और तीन लोकवर्ती सर्व पदार्थों को प्रत्येक समय मे यथास्थित, परिपूर्ण रुप से स्पष्ट और एक साथ जानता है उस ज्ञान को केवल ज्ञान कहते है ।
प्र० ५ - सम्यग्ज्ञान कैसा है ?
उत्तर - (१) इस संसार मे सम्यग्ज्ञान के समान सुखदायक अन्य कोई वस्तु नही है । ( २ ) सम्यग्ज्ञान ही जन्म- जरा और मृत्यु रुपी तीनो रोगो का नाश करने के लिये उत्तम अमृत समान है ।
प्र० ६ - ज्ञानी और अज्ञानी के कर्म नाश के विषय मे क्या अन्तर
है ?
उत्तर - (१) मिथ्यादृष्टि जीव को सम्यग्ज्ञान के बिना करोडो जन्म तक तप तपने से जितने कर्मों का नाश होता है। उतने कर्म सम्यग्ज्ञानी जीव के त्रिगुप्ति से क्षणमात्र मे नष्ट हो जाते है ।
प्र० ७ - सम्यग्ज्ञान का क्या प्रभाव है ?
उत्तर - पूर्वकाल मे जो जीव मोक्ष गये है, भविष्य मे जायेगे और वर्तमान मे महा विदेह क्षेत्र से जा रहे है । यह सब सम्यग्ज्ञान का ही प्रभाव है ।
प्र० ८ - और सम्यग्ज्ञान कैसा है ?
उत्तर - जिस प्रकार मूसलाधार वर्षा वन की भयकर अग्नि को क्षण मात्र मे बुझा देती है, उसी प्रकार सम्यग्ज्ञान विषय वासना को