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प्र० ७८-जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित 'निर्जरातत्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' सुनकर सम्यक्त्व के सन्मुख पात्र भव्य मिथ्याष्टि जीव क्या जानते है और क्या करते है ? । उत्तर-अहो अहो! जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित, 'निर्जरा तत्व का ज्यो का त्यो श्रद्वान' महान उपकारी है मुझे तो इस बात का पता नही था। ऐसा विचार कर अबन्ध स्वभावी निज भगवान आत्मा का आश्रय लेकर बहिरात्मपने का अभाव करके अन्तरात्मा बनकर ज्ञानी की तरह निज आत्मा मे विशेप एकाग्रता करके परमात्मा बन जाता है।
प्र० ७६-जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित, 'निर्जरातत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' सुनकर दीर्घ संसारी मिथ्यादृष्टि क्या जानता है और क्या करता है ?
, उत्तर-जिन-जिनवर और जिनवर वृपभो से कथित 'निर्जरातत्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' का विरोध करता है और चारो गतियो मे घूमता हुआ निगोद चला जाता है।
प्र०८०-जिन-जिनवर-जिनवर वृषभो से कथित निर्जरातत्व, का ज्यो का त्यो श्रद्धान' का विशेष स्पष्टीकरण कहा देखें।
उत्तर-जन सिद्धान्त प्रवेश रत्नमाला भाग तीसरा पाठ पहिले मे ३९३ प्रश्नोत्तर से ४११ प्रश्नोत्तर तक देखियेगा।
मोक्षतत्त्व का ज्यों का श्रद्धान प्र० ८१-छहढाला मे, 'मोक्षतत्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' के विषय मे क्या बताया है ?
उतर-(१)सकल कर्म ते रहित अवस्था, सो शिव थिर सुखकारी।