________________
भावनगर नरेश ने एक नौकर को निकाल दिया । तो वह भावनगर के नरेश के पास आया । तो नरेश ने पूछा तुम क्यो आये ? उसने कहा 'सरोवर के पास कौन न आवे ? भावनगर नरेश ने कहा, जाओ तुम्हारी नौकरी दी, उसी प्रकार जो अपने सरोवर रूप त्रिकाली कारण परमात्मा भगवान के पास जावे, उसे भगवान की प्राप्ति नियमः से होती है।
प्रश्न १३५-सिद्धांत (नियम) किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिसमे कोई अपवाद ना हो वह सिद्धान्त (नियम) है।' जैसे दो और दो चार होते है। चाहे अमेरिका में जावे या रूस मे जावे, उसी प्रकार सिद्धान्त हमेशा एकसा होता है। जिसमे कही भी अन्तर नही आता है।
प्रश्न १३६-निगोद किसका फल है ?
उत्तर-एक ज्ञानी की विराधना का फल निगोद है अर्थात अपने ज्ञायक स्वभाव की विराधना का फल निगोद है। जहाँ एक ज्ञानी की विराधना है वहाँ अनन्त ज्ञानियो की विराधना है।
प्रश्न १३७-मोक्ष किसका फल है ?
उत्तर-एक ज्ञानी की आज्ञा की आराधना का फल मोक्ष है अर्थात् अपने ज्ञायक स्वभाव की आराधना सो मोक्ष है । जहाँ एक ज्ञानी की आराधना है वहाँ अनन्त ज्ञानियो की आराधना है।
प्रश्न १३८-निश्चय गति कितनी है ?
उत्तर-निगोद और मोक्ष दो है वाकी चार तो मात्र हवा खाने की हैं । जैसे आप वम्बई समुद्र पर सैर करने गये वहाँ पर आपने चार घण्टे सैर की, फिर वापस घर को, उसी प्रकार यह जीव निगोद से' निकलकर मनुष्य आदि पर्याय पायी और अपनी ओर नही झुका तो फिर निगोद है और अपनी ओर झुका तो मोक्ष है।
प्रश्न १३६-मनुष्य गति मिलने पर भी अपनी आराधना ना की तो क्या फल होगा?
.