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( २३० ) का भाव आता ही है। उनकी वाणी, सत्समागम और अपूर्ण शुद्ध पर्याय का ऐसा ही कोई निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध है। शुद्धि के साथ जो अशुद्धि है। उस अशुद्धि का और वाणी का निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध है शुद्धि का नही। इसका प्रगट रहस्य अनुभव सम्यग्दर्शन होने पर ही होता है।
प्रश्न २१-चौथे-पाँचवे-छठे गुणस्थान मे ज्ञानियो की कैसा कैसा राग आता है ?
उत्तर-(१) चौथे गुणस्थान मे निश्चय सम्यग्दर्शन प्रगट होता है । तब सच्चे देव गुरु के प्रति आदर का भाव आता है, कुगुरु के प्रति नही आता है । (२) पाँचवे गुणस्थान मे १२ अणुव्रतादि का शुभभाव तथा छठे गुणस्थान मे २८ मूलगुण पालन का विकल्प आता है । इस भूमिका मे ऐसा ही निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध होता है।
प्रश्न २२-चन्दन क्या शिक्षा देता है ?
उत्तर-जैसे-चन्दन को घिसो, तो वह सुगन्ध देता है। चन्दन पर कुल्हाडी मारो ता वह कुल्हाड़ी को भी सुगन्धित बना देता है। चन्दन को जलाओ तब भी वह अपनी सुगन्ध को नही छोडता है, उसी प्रकार हे आत्मा । जब तुम्हे चन्दन के समान कोई घिसता नही, काटता नहीं और जलाता नही। तव तुम अपने ज्ञाता-दृष्टा स्वभाव को क्यो छोडते हो । देखो । चन्दन पर कैसी-कैसी मुसीबत आने पर भी वह अपना सुगन्धी का स्वभाव नहीं छोडता, उसी प्रकार हे आत्मा । तू अपने ज्ञायक स्वभाव को साथ रक्खे। तो ससार की कितनी ही प्रतिकूलता क्यो ना हो, तुझे दुखी नही कर सकती। चन्दन पर जैसी-जैसी मुसीबते आती हैं, वैसी तेरे साथ नही । इसीलिए तू अपने ज्ञायक स्वभाव को पहिचाने तो 'चन्दन' को जाना कहलाया जावेगा। प्रश्न २३-'गन्ना' क्या शिक्षा देता है ? । उत्तर-जैसे-गन्ने को कोल्हू मे पेलकर रस निकालते है । रस