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सच्ची श्रद्धा के बिना दुख का अभाव और सुख की प्राप्ति नही हो सकती है ।
प्रश्न ३२ -- जीव- अजीव तत्त्व का सच्चा श्रद्धान क्या है ?
उत्तर - अपने को आप रूप जानकर पर का अश भी अपने मे न मिलाना और अपना अश भी पर मे न मिलाना यह जीव- अजीव तत्त्व का सच्चा - द्वान है |
प्रश्न ३३ - आश्रव तत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान क्या है
उत्तर - परमार्थत वास्तव मे पुण्य-पाप ( शुभाशुभभाव) आत्मा को अहितकर है। आत्मा की क्षणिक अशुद्ध अवस्था है । द्रव्य पुण्यपाप आत्मा का हित-अहित नही कर सकते हैं । मिथ्यात्व राग-द्वेषादि भाव आत्मा को प्रगट रूप से दुख के देने वाले है । यह आश्रव तत्त्व का ज्यो का त्या श्रद्वान है ।
प्रश्न ३४ - बघ तत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान क्या है ?
उत्तर - जैसी-सोने की वेडी वैसे ही लोहे की बेडी है । दोनो बधन कारक है इसी प्रकार पुण्य-पाप दोनो जीव को वधन करता है । यह बध तत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान है ।
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प्रश्न ३५ -सवर तत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्वान क्या है उत्तर - निश्चय सम्यग्दर्शन - ज्ञान चारित्र ही जीव के लिए हितकारी है । यह सवर तत्त्व का सच्चा श्रद्धान है ।
प्रश्न ३६ - निर्जरा तत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान क्या है ?
उत्तर --- आत्मा मे एकाग्र होने से शुभाशुभ इच्छाये उत्पन्न ना होने से निज आत्मा की शुद्धि का बढना सो तप है । उस तप से निर्जरा होती है । ऐसा तप सुखदायक है । यह निर्जरा तत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान है ।
प्रश्न ३७ - मोक्ष तत्त्व का ज्यों का त्यों श्रद्वान क्या है ?
उत्तर - मोक्ष दशा मे सम्पूर्ण आकुलता का अभाव है । पूर्ण स्वा