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( ३३ ) प्रश्न ५४-श्रीपाल के शरीर का कुष्ट रोग गन्दोदक से ठीक हुआ-इसमें अनेकान्त को कब समझा और कब नही समझा ?
उत्तर-प्रश्न ५० या ५१ के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न ५५-विषापहार स्तोत्र के पढने से विष दूर हो गयाइसमें अनेकान्त को कव समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर-प्रश्न ५० या ५१ के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न ५६-कर्मों के अभाव से सिद्ध दशा को प्राप्ति हुई इसमें अनेकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर--(१) सिद्धदशा की प्राप्ति १४वे गुणस्थान का अभाव करके आत्मा मे से हुई है कर्मों के अभाव से नहीं हुई है तो अनेकान्त को समझा है (२) सिद्धदशा की प्राप्ति १४वे गुणस्थान का अभाव करके आत्मा मे से भी हुई है और कर्मों के अभाव मे से भी हुई है तो अनेकान्त को नहीं समझा है।
प्रश्न ५७-दर्शनमोहनीय के अभाव से क्षायिक सम्यक्त्व की प्राप्ति हुई-इसमे अनेकान्त को कर समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर-५६वें प्रश्नोत्तर के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न ५८ केवलज्ञान होने से केवल ज्ञानावरणीय कर्म का अभाव हुआ, इसमें अनेकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर-५६वें प्रश्नोत्तर के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न ५६-कुत्ता णमोकार मत्र सुनने से स्वर्ग में देव हुआ, इसमें अनेकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर-(१) कुत्ता शुभभाव से स्वर्ग मे देव हुआ णमोकार मत्र सुनने से नही हुआ तो अनेकान्त को समझा है। (२) कुत्ता शुभभाव से भी स्वर्ग मे देव हुआ और णमोकार मत्र सुनने से भी देव हुआ तो अनेकान्त को नहीं समझा।
प्रश्न ६०-कुन्दकुन्द भगवान ने समयसार बनाया-इसमें निकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा ?