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अनेकान्त है। इसी प्रकार बाकी दो वाक्यो मे सच्चा अनेकान्त और मिथ्या अनेकान्त लगाकर बताओ ।
प्रश्न ४७ - अनेकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा, इसके कुछ दृष्टान्त देकर समझाइये ?
उत्तर- (१) आत्मा अपने रूप से है और पर रूप से नही है तो अनेकान्त को समझा है। आत्मा अपने रूप से भी है और पर रूप से भी है तो अनेकान्त को नही समझा । (२) आत्मा अपना कर सकता है, और पर का नही कर सकता तो अनेकान्त को समझा है । आत्मा अपना भी कर सकता है और पर का भी कर सकता है तो अनेकान्त को नही समझा । (३) आत्मा के आश्रय से शुद्धभाव से धर्म होता है और शुभभाव से नही होता तो अनेकान्त को समझा है । आत्मा के आश्रय से शुद्धभाव से भी धर्म होता है और शुभभाव से भी धर्म होता है तो अनेकान्त को नही समझा । ( ४ ) ज्ञान का कार्य ज्ञान से होता है और दूसरे गुणो से नही तो अनेकान्त को समझा है। ज्ञान का कार्य ज्ञान गुण से भी होता है और दूसरे गुणो से भी होता है तो अनेकान्त को नही समझा । (५) एक पर्याय अपना कार्य करती है और दूसरी पर्याय का कार्य नही करती तो अनेकान्त को समझा है । एक पर्याय अपना भी कार्य करती है और पर का भी कार्य करती है तो अनेकान्त को नही समझा । (६) ज्ञान आत्मा से होता है और शरीर, इन्द्रियाँ, द्रव्य कर्म और शुभाशुभ भावो से नही होता, तो अनेकान्त को समझा है। ज्ञान आत्मा से भी होता है और शरीर, इन्द्रियाँ, द्रव्यकर्म और शुभाशुभ भावो से भी होता है तो अनेकान्त को नही समझा ।
प्रश्न ४८ - निश्चय व्यवहार के अनेकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर - (१) निश्चय निश्चय से है व्यवहार से नही है और व्यवहार व्यवहार से है निश्चय से नही है तो निश्चय - व्यवहार के अनेकान्त को समझा है । (२) निश्चय निश्चय से भी है व्यवहार से