________________ ( 226 ) होता है, क्योकि न वस्तु अन्य है, न वही है किन्तु अनिर्वचनीय अखड है यह शुद्धद्रव्याथिकनय का पक्ष है। प्रश्न १६०-प्रमाण का प्रयोग बताओ? उत्तर-जो सत् प्रतिक्षण नवीन-नवीन भावो से परिणमन कर रहा है वह न तो असत् उत्पन्न है और न सत् विनष्ट है यह प्रमाण पक्ष है। (767) चौथे भाग का परिशिष्ट प्रश्न १६१-सामान्य धर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जो धर्म सब द्रव्यो मे पाया जाये उसे सामान्य धर्म कहते है जैसे द्रव्यत्व, गुणत्व, पर्यायत्व, उत्पादव्ययध्र वत्व, अस्तित्व-नास्तित्व, नित्यत्व-अनित्यत्व, तत्पना-अतत्पना, एकत्व-अनेकत्व इत्यादि / (7, 770) प्रश्न १९२-~-विशेष धर्म किसे कहते हैं ? उत्तर-जो सब द्रव्यो मे न पाया जाये किन्तु कुछ मे पाया जाये उसे विशेप धर्म कहते हैं जैसे चेतनत्व-अचेतनत्व, क्रियत्व-भावत्व भूतत्व-अमूर्तत्व, लोकत्व-अलोकत्व इत्यादिक / (7, 770) प्रश्न १६३-जीव अजीव को विशेषता बताओ? उत्तर-चेतना लक्षण जीव है, अचेतन लक्षण अजीव है। जीव चेतन हैं शेष पाँच अचेतन हैं। (771) प्रश्न १६४-मूर्त अमूर्त की विशेषता बताओ? उत्तर-जो इन्द्रिय के ग्रहण योग्य हो अथवा जिसमे स्पर्श रस गध वर्ण पाया जाए वह मूर्त है / इससे विपरीत अमूर्त है / एक पुद्गल मूर्त है। शेष पांच अमूत हैं। (775, 777} प्रश्न १९५---लोक अलोक की विशेषता बताओ? उत्तर-षटद्रव्यात्मक लोक है उससे विपरीत अर्थात आकाश मात्र अलोक है। (760, 761)