________________ (220 ) के लिए व्यवहार नय की आवश्याता है। यह केवल वस्तु को पकडा देना है। एनना ही उममे कार्यकारीपना है क्योकि वस्तु पकड़ने का और कोई गाधन नहीं है। प्रश्न १५६-निश्चय नय का विषय क्या है ? उत्तर-जो व्यहार नया विषय है वही निश्चय नय का विषय है। व्यवहार नय में भेद विरन्य निकाल देने पर निउत्तय नय का ही विषय बनता है। प्रश्न १६०-~-निश्चयनयावलम्बी स्वसमयी है या परसमयी ? उत्तर-निचयनयावलम्बी भी परनमयी है क्योकि इसमे निपंध म्प विकला है। दसरे दोनो नय सापेक्ष है। जहाँ विधि विवल्प होगा वहाँ निरोधम्प विकरर भी अवश्य होगा। प्रश्न १६१--स्वसमयी जीव कौन है ? उत्तर-जो निम्चनय के विकल्प को भी पार करके स्वात्मानुभूति मे प्रवेश कर गया है / नयातीत अवस्था को स्वसमय प्रतिवद्ध अवस्था कहते है। प्रश्न १६२---निश्चयनय के कितने भेद हैं। कारण सहित बताओ? उत्तर-निश्चयनय का कोई भेद नही क्योकि वह अखण्ड सामान्य को विषय करती है अत उसमे भेद हो ही नहीं सकता। वह केवल एक ही है। प्रश्न १६३-निश्चयनय के शुद्ध निश्चय, अशुद्ध निश्चय आदि भेद है या नहीं? उत्तर--नही / वे व्यवहार नय के ही नामान्तर हैं। केवल कथनशंलो का अन्तर है। जो उन कथनो को वास्तव मे ही कोई सामान्य की द्योतक निश्चय नय मान ले तो वह मिथ्यादृष्टि है। प्रश्न १६४--व्यवहार नय और निश्चयनय का क्या फल है ? उत्तर-व्यवहारनय को हेय श्रदान करना चाहिए। यदि उसे