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पाठ १
मेद विज्ञान प्रश्न (१)-तुम कौन हो? उत्तर- मैं जान दर्शन चरित्र आदि अनन्त गुणों का अभेद पिण्ड
प्रात्मा हूँ। प्रश्न (२)-तुम कौन नहीं हो ? उत्तर-अत्यन्त भिन्न पर पदार्थ, अाँख नाक शरीर मन वाणी
पाठ कर्म तथा शुभाशुभ विकारी भाव में नहीं है। प्रश्न (३)-तुम कब से हो ? उत्तर-मैं अनादिअनन्त ज्ञायक स्वभावी सदा से हूं। प्रश्न (४)-जन्म मरण तो होता है, फिर सदा से कैसे हो ? उत्तर-जन्म मरण शरीर की अपेक्षा कहा जाता है जीव से नहीं। प्रश्न (५)-तुम्हारा कार्य क्या है ? उत्तर-मेरा कार्य ज्ञाता-दृष्टा है। प्रश्न (६)-तुम दुःखी क्यों हो? उत्तर (१)-अनादिअनन्त ज्ञायक स्वभावी आत्मा को न जानने
से दुःखी हूं पर से नहीं।