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________________ ( ७६ ) प्रश्न (११२)-क्या जैसे इस कुर्सी में अनन्त परमाणु हैं ; उसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य में गुण हैं ? उत्तर-बिल्कुल नहीं, क्योकि (उत्तर १०४ के अनुसार) प्रश्न (११३)-क्या जैसे काल द्रव्य में परिणमन हेतुत्व गुण हैं ; उसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य में गुण हैं ? उत्तर-हाँ ऐसे ही है ; क्योंकि (उत्तर १०८ के अनुसार) प्रश्न (११४)-क्या जैसे इस कमोज में अनन्त परमाणु हैं ; उसी प्रकार द्रव्य में गुण है ? उत्तर-बिल्कुल नहीं, क्योकि (उत्तर १०४ के अनुसार) प्रश्न (११५)-क्या जैसे प्रात्मा के साथ शरीर का सम्बन्ध है उसी प्रकार द्रव्य में गुण हैं ? उत्तर-बिल्कुल नही-क्योकि (उत्तर १०४ के अनुसार) प्रश्न (११६)-क्या जैसे आत्मा के साथ पाठ कर्मों का सम्बंध है उसी प्रकार द्रव्य मे गुण है ? उत्तर-बिल्कुल नही क्योंकि (उत्तर १०४ के अनुसार) प्रश्न (११७)--क्या जैसे कमरे मे सरसों भरदी ; उसी प्रकार द्रव्य में गुण हैं ? उत्तर-बिल्कुल नही क्योकि (उत्तर १०४ के अनुसार) प्रश्न (११८)--क्या जैसे रसगुल्ले में अनन्त परमाणु हैं ; उसी प्रकार द्रव्य में गुण हैं ? उत्तर-बिल्कुल नहीं क्योंकि (उत्तर १०४ के अनुसार
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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