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(७४ ) उत्तर-गुणो के समूह को द्रव्य कहा है। प्रश्न (६५)-पाप कहते हो भगवान ने द्रव्य का लक्षण
"गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं" परन्तु अन्य शास्त्रों में द्रव्य की परिभाषा दूसरे प्रकार से क्यो बताई है ? -जैसे तत्त्वार्थ सूत्र में “गुण पर्यायवत् द्रव्यम्" बताई है, पचाध्याय मे “गुणपर्यय समुदायो द्रव्य' तथा
"गुण समुदायो द्रव्यम्' बताई है, ऐसा क्यों ? । उत्तर-इनमें से किसी एक को जब मुख्य करके कहा जाता
है तव शेष लक्षण भी उसमें गभित रुप से आ जाते हैं इसलिए प्राचार्यों ने दूसरे प्रकार से द्रव्य का लक्षण स्पष्ट ध्यान में आने की अपेक्षा कथन किया है। और भाव सबका एक ही है, विरोध नहीं है, ऐसा जानना
चाहिए। प्रश्न (६६)--भगवान ने द्रव्य की महिमा किससे बताई है ? उत्तर-प्रत्येक द्रव्य के उस उसके गुणो से ही द्रव्य की महिमा
बताई है। प्रश्न (६७)--मिथ्यादृष्टि लोग अपनी अपनी महिमा किस
किस से मानते है और किससे नहीं मानते है ? उत्तर-(१) मै पुत्र वाला हूँ, इससे महिमा मानते हैं ।
(२) मैं स्त्री वाला हूँ इससे महिमा मानते हैं। (३) मैं रुपये पैसे वाला हूँ इससे अपनी महिमा मानते हैं । (४) मैं सुन्दर रूप वाला हूं इससे अपनी महिमा
मानते हैं।